Varanasi

ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की आपातकालीन बैठक में कमेटी सदस्य शमशेर अली और उनके भाइयो पर गलत तरीके से चौक पुलिस द्वारा 110G की कार्यवाही की हुई निंदा, अंजुमन ने डीसीपी काशी से मुलाकात कर जताया एतराज़, जाने क्या है पूरा मामला

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी की एक आपातकालीन बैठक संयुक्त सचिव एसएम यासीन के आवास पर हुई। इस बैठक में सर्वसम्मत से चौक पुलिस द्वारा असंवैधानिक तरीके से कमेटी के सदस्य शमशेर अली और उनके भाइयो पर 110जी (गुंडा एक्ट) के कार्यवाही की कड़ी आलोचना हुई और इसको मस्जिद कमेटी के ऊपर एक दबाव नाजाज़ बनाने वाली कार्यवाही बताया गया।

बैठक में सर्वसम्मति से पास हुआ कि एसीपी दशाश्वमेघ और चौक इस्पेक्टर द्वारा की गई इस असंवैधानिक कार्यवाही के मुखालिफ हर प्रकार की कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। इस क्रम में मस्जिद कमेटी के एक प्रतिनिधि मंडल ने डीसीपी काशी से मुलाकात कर इस कार्यवाही की घोर निंदा दिया। प्रतिनिधि मंडल में मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी, एसएम यासीन, नेसार अहमद और शमशेर अली थे। प्रतिनिधि मंडल को डीसीपी काशी ने आश्वस्त करवाया है कि कोई भी प्रकार की असंवैधानिक कार्यवाही नही होगी और मामले में निष्पक्ष जाँच करवाने का आश्वासन दिया है।

Gyanvapi Imam Mufti Batin Nomani’

क्या बोले मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी

इस मामले में हमसे बात करते हुवे मौलाना बातिन नोमानी ने कहा कि मुस्लिम समाज को ज्ञानवापी मस्जिद से दूर रखने के लिए उनके अन्दर दहशत पैदा करने के लिए हमारी कमेटी के मेंबर शमशेर अली और उनके भाइयो पर इस तरीके से गैर कानूनी कार्यवाही चौक पुलिस के द्वारा किया गया है। आज आपातकालीन बैठक इसी मसले पर सलाह मश्वरे के लिए बुलाया गया था। इस बैठक में तय पाया गया कि मस्जिद से ताल्लुक रखने वाले किसी भी मुस्लिम समाज को ऐसे डराने की कोशिश अगर होगी तो हम सख्त एतराज करेगे और कानूनी लड़ाई हर तरीके से लड़ेगे। मस्जिद से सम्बंधित सभी लोगो के साथ अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी खडी है और रहेगी।

क्या है मामला ?

दरअसल 30 अप्रैल के शाम शमशेर अली को चौक पुलिस एक नोटिस 110जी (गुंडा एक्ट) के तहत तामील करवाती है। ऐसी ही नोटिस उनके भाई मो0 अली उर्फ़ सोनू और जमशेद अली उर्फ़ पप्पू के नाम से भी तामील हुई। सभी नोटिस 110जी सीआरपीसी की है। नोटिस जारी 20 अप्रैल को हुई थी और आपत्ति दर्ज करवाने की तारिख 30 अप्रैल थी। जिस दिन आपत्ति दर्ज करवाने की आखरी तारिख थी उस दिन शाम को नोटिस शमशेर अली और उनके भाइयो को तामील किया गया।

नोटिस में साफ़ साफ़ लिखा है कि चौक इस्पेक्टर की रिपोर्ट जिसको एसीपी दशाश्वमेघ के द्वारा अग्रसारित किया गया के आधार पर शमशेर अली और उनके भाई दबंग है, अक्सर मारपीट और गाली गलौंज करते रहते है। इनके द्वारा अपराध की पुनरावृत्ति हो सकती है। मगर नोटिस में कही यह नहीं बताया गया है कि किस किस अपराध में इनके ऊपर मामले दर्ज है। ऐसे में शमशेर अली का कहना है कि मार्च के अंत में एक विवाद पडोसी दुकानदार से हुआ था। वाद विवाद में उस दुकानदार और उसके लोगो ने मुझे धक्का देकर मार पीट कर नीचे गिरा दिया था जिससे मेरा हाथ टूट गया था। जिसकी मेडिकल रिपोर्ट के साथ तहरीर चौक थाने को 29 मार्च के रोज़ प्रदान किया था।

शमशेर अली का कहना है कि उसके बाद चौक पुलिस ने मेरे बेटे और भाइयो सहित मुझे 107/116 सीआरपीसी में पाबंद कर दिया। मेरी शिकायत तक दर्ज नही किया। इसके अतिरिक्त मेरे ऊपर अथवा मेरे भाइयो पर कोई मामला दर्ज नही है। मेरे एक भाई पर तो वह भी नही है। मगर उसको भी चौक पुलिस ने गुंडा मान कर रिपोर्ट भेज दिया। शमशेर अली का कहना है कि थाने में दलाली करने वाले कतिपय लोगो ने उनको फरवरी में व्हाट्सअप सन्देश पर कहा था कि होशियार रहो, ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में बोलते हो, टारगेट पर हो। आज वह बात सत्य हो गई और लगता है उसी थाने पर पैठ रखने वाले ने पुलिस को गुमराह करके और ज्ञानवापी मस्जिद से मुसलमानों को दूर करने के लिए साजिशन ऐसी असंवैधानिक कार्यवाही किया है। शमशेर अली का दावा है कि उनके पास उस व्यक्ति के भेजे गए व्हाट्सअप मैसेज का स्क्रीन शॉट भी सुरक्षित है।

अब अगर शमशेर अली की बातो को को आधार माने तो फिर चौक पुलिस ने किन दस्तावेजों के आधार पर गुंडा एक्ट जैसी कार्यवाही ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था के सदस्य पर किया यह एक बड़ा सवाल है। अगर शमशेर अली और मस्जिद कमेटी के आरोपो को आधार माने तो फिर सवाल उठता है कि अनुभवी चौक इस्पेक्टर विमल मिश्रा के द्वारा ऐसी चुक कैसे हो सकती है। या फिर कागज़ी घोड़े दौड़ाने के चक्कर में उनके अधिनस्थो ने किसी के इशारे पर जो अपना दबदबा इलाके में बनाना चाहता है, ऐसी कार्यवाही कर दिया और इस्पेक्टर चौक विमल मिश्रा खुद चुक गए। बहरहाल, इस मामले की जानकारी होने के बाद मुस्लिम समाज में असंतोष भी देखने को मिल रहा है।

सवाल एक ये भी बड़ा है

अगर पुरे घटनाक्रम को देखे तो सवाल ये भी एक बड़ा है कि जब 29 मार्च को शमशेर अली ने चौक पुलिस को इस मारपीट में अपने हाथ टूटने के मेडिकल रिपोर्ट के साथ तहरीर दिया था तो आखिर चौक पुलिस ने मामला दर्ज क्यों नही किया?

pnn24.in

Share
Published by
pnn24.in

Recent Posts

‘राशन लोगे सरकार से और वोट दोगे किसी और को’ यह कह कर चौकीदार को दो होम गार्डो ने बुरी तरह पीटा

एच0 भाटिया बरेली: बरेली में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहा वर्दी में…

2 days ago

वर्दी वाली मैडम को मंच पर चढ़ कर सिंगर को चूमना पड़ा महंगा, वीडियो हुआ वायरल तो हुई सस्पेंड

तारिक़ खान डेस्क: वर्दी में एक महिला पुलिस कर्मी को मशहूर सिंगार जुबीन गर्ग को…

2 days ago

क्या दूध पीकर घर से बाहर निकलना चाहिए या नही…?

आफताब फारुकी डेस्क: हिंदू धर्म में शुभ और अशुभ कार्य को लेकर बहुत अधिक मान्यता…

2 days ago