सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रद्द वोटो की दुबारा करवाया गिनती, ‘आप’ प्रत्याशी कुलदीप कुमार दुबारा मतगणना में मेयर हुवे निर्वाचित, अदालत ने रिटर्निग ऑफिसर अनिल मसीह को जमकर सुनाई खरी-खरी

तारिक़ आज़मी

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पार्षद कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ म्यूनिसिपिल कॉरपोरेशन का मेयर घोषित कर दिया है। शीर्ष अदालत ने बीजेपी कैंडिडेट की जीत को रद्द कर दिया है। रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने बीजेपी उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव कराने वाले रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह की भी खिंचाई की। अदालत ने कहा कि जिन मत पत्रों को उन्होंने अमान्य करार दिया था, क्या वे खराब कर दिए गए थे।

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में वोटों की दोबारा गिनती के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘अमान्य’ करार दिए मत पत्रों को शामिल कर दोबारा गिनती की जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव कराने वाले रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह की भी खिंचाई की। अदालत ने कहा कि जिन मत पत्रों को उन्होंने अमान्य करार दिया था, क्या वे खराब कर दिए गए थे।

कोर्ट ने कहा, ‘हम दोबारा गिनती का निर्देश दे रहे हैं। अमान्य घोषित कर दिए गए आठों मत पत्र को गिनती में शामिल किया जाए और उसके बाद नतीजे घोषित किए जाएं।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन आठ मत पत्रों को अमान्य घोषित किया था, उनमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में वोट डाले गए थे। दिल्ली के मुख्यंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट को ‘शुक्रिया’ कहा है।

इससे पहले सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने चंडीगढ़ के मेयर पद के लिए 30 जनवरी 2024 को हुए वोटिंग के दौरान इस्तेमाल करने वाले बैलेट पेपर पेश करने को कहा था। बेंच ने नए सिरे से चुनाव कराने के बजाय मत पत्रों की दोबारा गिनती के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी रहे अनिल मसीह से कड़े सवाल पूछे थे।

अदालत ने मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान सारे बैलट पेपर पेश करने का आदेश दिया था। अनिल मसीह ने कोर्ट में माना कि उन्होंने बैलेट पेपर क्रॉस (‘X’) का निशान बना दिया था। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पांच फरवरी को हुई सुनवाई में रिटर्निंग ऑफ़िसर (अनिल मसीह) को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी।

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