#muharram
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इस्लामी कलेंडर का हुआ नया साल शुरू, नजर आया मुहर्रम का चाँद: ‘ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी, फिर कैसे मैं कह दू नया साल मुबारक’
तारिक़ आज़मी ‘क़त्ल-ए-हुसैन असल में मर्गे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है कर्बला के बाद।’ गर चे मैं आलिम होता…
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