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वाराणसी – अखरी बाईपास से पास होती ओवरलोडेड और बिना नम्बर की गाड़ियाँ, दलाल होते है पास, महकमा है फेल, कथित पत्रकारिता के दम पर जारी बड़ा खेल

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के रोहनिया थाना क्षेत्र एके अखरी चौराहे पर बिना नम्बर प्लेट की और बिना परमिट अथवा कागज़ात की ओवरलोडेड ट्रको के पास करवाने का दलालों का खेल चौकी इंचार्ज गौरव पाण्डेय के स्थानान्तरण के बाद से एक बार फिर जोरो शोर से शुरू हो गया है। सूत्रों की माने तो देर रात दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। उनको मालूम रहता है कि आज चेकिंग किधर है। बस मुट्ठी गर्म करके गाडियों को पास करवाना शुरू। यही नही प्रतिबंधित रास्ते पर अगर जाना है तो उसके लिए थोडा मुट्ठी और भी गर्म करना पड़ेगा और उधर भी गाड़ी पास होकर चली जायेगी।

बिना नम्बर प्लेट के पास हुई थी आज ये गाडी – सूत्र

हमको सूत्रों से जानकारी मिली कि अखरी बाईपास पर ट्रको के पास करवाने का काला कारोबार दलालों ने दुबारा करना शुरू कर दिया है। बताते चले कि जब तक अखरी चौकी इंचार्ज गौरव पाण्डेय इस चौकी पर पोस्टेड थे तब तक इन दलालों की दाल नहीं गल पाती थी और एसआई गौरव पाण्डेय के द्वारा इनको इतना मुह भी नही लगाया जाता था। इस खेल में कुछ कथित पत्रकार ही बतौर दलाल शामिल है। इन कथित पत्रकारों की सभी पत्रकारिता रात के अँधेरे में शुरू होती है और उजाला होने के पहले ही गुल हो जाती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अखरी पर स्थित एक ढाबे “सत्कार” में बैठ कर एक संध्या कालीन दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय संवाददाता खुद को बताने वाले सज्जन के साथ अक्सर चर्चोओ का केंद्र बने रहने वाले एक अन्य संध्याकालीन दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय संवाददाता और उनके सरगना के तौर पर एक काफी पुराने प्रातः काली दैनिक समाचार पत्र के खुद को संवाददाता कहने वाले साहब के साथ एक अज्ञात समाचार चैनल के खुद को पत्रकार कहने वाले सज्जन भी शामिल है। रात को इनका भोजन सत्कार ढाबे पर ही होता है। उसके बाद रात और गहरी होने के बाद जब घडी कलेंडर बदल चुकी होती है तो इनका दलाली का खेल शुरू हो जाता है।

पहले सेट की हुई गाडियों को लाइन में लगवा कर खड़ा किया जाता है। उसके बाद खुद चौराहे पर खड़े होकर सेटिंग गेटिंग और खुद की कथित पत्रकारिता की धौस दिखा कर गाडियों को पास करवाया जाता है। आज देर रात जब हमने इस खेल को देखा तो खुद भी अचंभित रह गए। कई गाडियों के नम्बर प्लेट तक नही थे। उनमे क्या लदा है इसकी भी जानकारी या तो गाडी मालिक को होगी अथवा दुनिया के मालिक को होगी। ऐसी गाडियों को पास करवाने के नाम पर अच्छी खासी रकम लिया जाता है। यहाँ तक कि प्रतिबंधित क्षेत्रो में भी गाडी भेजने का ठेका ले लिया जाता है और एक साहब खुद अपनी बाइक से आगे आगे गाडी को लेकर गंतव्य तक चले जाते है।

इस खेल में कई गाडियों के नम्बर नही होते और बकिया ओवर लोडेड होती है। लाइन में लगी गाडियों को आप खुद वीडियो में देख सकते है। ये वीडियो 7-8 अप्रेल की रात को हमने बनाया है। इस काले कारनामो को करने वाले एक सज्जन से हमारे सहयोगी अनुराग पाण्डेय की कल यानी 8-9 की रात को मुलाकात हो गई। उन्होंने खुद का परिचय मानवाधिकार से दिया। तो मनावाधिकार का नाम सुन कर हमने उनसे बड़े ही तहजीब और तमीज़ से बात किया।

आप वीडियो में देख सकते है कि खुद को मानवाधिकार का कहने वाले सज्जन एक गाडी को पास करवाने के बाद खुद की सफाई कैसे दे रहे है। मास्क वैसे तो उन्होंने लगाया नही था, मगर जब हमारे सहयोगी के कैमरे पर बोलने की स्थिति आई तो भाई साहब ने तुरंत मास्क से आधा चेहरा ढक लिया ताकि कोई पहचान न सके। वो कौन से मानवाधिकार से सम्बन्धित है इसका पता जैसे ही ब्रह्मलोक से हमको मिलेगा हम आपको भी बता देंगे। मगर मिली जानकारी के अनुसार रोज़ ही ये मानवाधिकार भाई साहब अखरी चौराहे पर ट्रको को पास करवाया करते है और कहते है कि हमने कागज़ देखा है पूरा दुरुस्त है। अब कोई हमको बता दे कि मानवाधिकार कब से ट्रको का कागज़ चेक करने लगा।

वैसे भाई साहब बड़े वाले मानवाधिकारी है तो उनको स्पेशल अधिकार मिला होगा कि अखरी बाईपास पर बैठ कर ट्रको को पास करवाते हुवे उसके कागज़ चेक करे। हमको प्राप्त जानकारी के अनुसार मानवाधिकार नाम की एक संस्था का साहब बहादुर के पास एक कथित कार्ड है। पुलिस को अपने पत्रकार होने और मानवाधिकारी होने का टेरर देते है और फिर अपना काम हो जाने के बाद निकल लेते है। भाई साहब ने हमारे सहयोगी से बात किया, आप खुद उनके बातो को सुने और समझ जाये कि भाई साहब कितने बड़े वाले मानवाधिकारी है। कभी भी मानव अथवा उसके अधिकार को मानवाधिकार न मिले तो इनसे संपर्क कर सकते है। ट्रक पूरी पास करवा देंगे।

हमारी तफ्तीश जारी है। जल्द ही हम इस सम्बन्ध में और भी बड़े खुलासे करेगे। जुड़े रहे हमारे साथ। हम दिखाते है वो सच जो वक्त के रफ़्तार की धुंध में कही खो जाते है। हम दिखाते है केवल सच। नफरतो की खबरों से हमको है परहेज़, हमने रखा है अपने लफ्जों में है गंगा जमुनी तहजीब की वरासत सहेज। जुड़े रहे हमारे साथ।

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