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BHU चाय विक्रेता रामू हत्याकांड: कमिश्नर साहब, क्या इस गरीब चाय वाले की मौत का इन्साफ मिल पायेगा ? जाने दो साल बाद भी अनसुलझे हत्याकांड में अनसुलझे सवाल भाग -2

तारिक आज़मी

घटना स्थल पर सामान केवल बिखरा पड़ा था। कुछ भी चोरी नही हुआ था। तत्कालीन विवेचना में लगी टीम के एक सदस्य ने भी हमसे बातचीत में इस बात की पुष्टि किया था कि मौके से कुछ भी गायब नही हुआ था। केवल पुलिस को गुमराह करने के लिए दूकान के सामान बिखेर दिए गए थे। बिखरे सामानों को देख कर पुलिस मामले को चोरी और हत्या से जोड़े शायद हत्यारे अथवा हत्यारों की यही मंशा रही होगी। मौके से शराब की बोतल बरामद होना इस तरफ इशारा तो करती थी कि यहाँ बैठ कर शराब पी गई थी। मगर विवेचना में इस बात की पुष्टि नही हुई थी। शायद ये भी हो सकता है कि पुलिस को गुमराह करने का एक और हथकंडा रहा हो।

व्यस्त होती रही पुलिस और फिर ठन्डे बस्ते में चला गया मामला

इस घटना के खुलासे हेतु तत्कालीन एसपी (सिटी) दिनेश सिंह ने एक टीम का गठन तत्कालीन लंका थाना प्रभारी भारत भूषण के नेतृत्व में गठित किया था। टीम में अमरेन्द्र पाण्डेय और प्रकाश सिंह को उनकी भूमिका निर्धारित की गई थी। ये वाराणसी पुलिस का वह समय था जब लंका पुलिस और क्राइम ब्रांच में एक हेल्दी कम्पटीशन क्राइम कंट्रोल का चलता था। भारत भूषण तिवारी का टीम मैनेजमेंट ज़बरदस्त था। ये हत्याकांड का खुलासा एक चैलेन्ज की तरह था। न सीसीटीवी फुटेज न हत्या का कोई स्पष्ट कारण समझ में आ रहा था। इसके बाद पुलिस इस हत्याकांड के खुलासे के लिए कोशिश करती तभी मालवीय गेट पर हुई छात्रो के दो गुटों में मारपीट की घटना में स्थिति नियंत्रण करके के प्रयास में प्रयोग हुआ बल, पुलिस के लिए श्राप बन गया। इस घटना में चितईपुर चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था।

प्रकाश सिंह टीम भारत भूषण का एक बड़ा नाम था। इस सस्पेंशन के बाद ऐसा लगने लगा कि भारत भूषण की टीम का मनोबल टूट गया। इसके बाद एनआरसी का हंगामा और फिर भारत भूषण का ट्रांसफर होने के बाद मामला ठन्डे बस्ते में जाने लगा था। इसके बाद विवेचक दर विवेचक बदलते रहे और इस हत्याकांड की फाइल पर धुल जमती रही। आखिर अब ताज़ा स्थिति में पुलिस ने ऍफ़आर लगा कर अनसुलझे केस के लिस्ट में इसको भी शामिल कर लिया। केस अनसुलझा है और रामू की आत्मा अपने हत्या के लिए इन्साफ मांग रही है।

क्या ये एक परफेक्ट क्राइम था ?

पुलिस की किताबो और अपराध के नज़रियो को देखे तो कोई भी क्राइम परफेक्ट नही होता है। तो क्या ये हत्याकांड सभी नियमो को दरकिनार करके एक परफेक्ट हत्याकांड साबित हुआ है। शायद ऐसा नही हो सकता है। हकीकत देखे तो टीम भारत भूषण के टूटने के बाद से इस केस पर सही से अध्यन नही किया गया था। टीम भारत भूषण जिस समय बिख्ती थी उसको अगर 10-15 दिन का और मौका मिल जाता तो दो एंगल पर काम करने वाली ये टीम इस हत्याकांड का खुलासा कर लेती। मगर फिर वही एक बात सामने आती है कि शायद इस टीम को टाइम नही मिला और दुसरे तरफ अन्य विवेचको ने इस अपराध पर कोई भी गंभीरता नही दिखाई। इस हत्याकांड के दो ही कारण उभर कर सामने आ सकते है।

घटना स्थल पर ऐसे मिली थी रामू की लाश

क्या हो सकता है हत्या का कारण

उस समय विवेचक को घटना के दो एंगल सामने आ रहे थे। पहला एंगल कुछ युवक युवतियों के द्वारा चाय की दूकान पर कुछ दिनों पूर्व हुई विवाद की घटना। इस घटना में सूत्रों की माने तो घटना के तीन चार दिन पहले तीन चार की संख्या में युवक युवती एक कार से रामू की दूकान पर आये थे, और कार में बैठ कर शराब का सेवन करने लगे थे। जिसके लिए रामू ने उनको रोका और टोका था। इसके बाद युवको का रामू से विवाद भी हुआ था। जिसमे युवको ने रामू को धमकी भी दिया था। इस घटना को इस हत्याकांड से जोड़ कर देखा जा सकता था, मगर पुलिस ने कभी विवेचना में इस तथ्य पर ध्यान नही दिया था।

इसके अलावा एक और बड़ी घटना को इस घटना से जोड़ कर देखा जा सकता था। वह घटना थी एक बड़े कंपनी की ओउटलेट का खुलना। रामू की दूकान पुरे कैम्पस में सबसे अधिक चलने वाली दूकान थी। इस दूकान के कारण काफी लोगो के पेट में दर्द थी। एक बड़ी कंपनी अपनी आउटलेट खोलने के लिए फ़्रेन्चाईज दिए हुई थी। ठेकेदार की ख्वाहिश थी कि रामू की दूकान के जगह उस आउटलेट का काउंटर लग जाए। इसके लिए ठेकेदार ने रामू से बात भी किया था। सूत्रों की माने तो वसूल पसंद रामू ने ठेकेदार को साफ़ साफ़ मना कर दिया था। ठेकेदार ने काफी कोशिश किया था कि रामू मान जाए और खुद की जगह उसको दे दे। मगर रामू थे कि वह मानने को तैयार ही नही थे। इसके कारण काफी विवाद की स्थिति भी बनी थी। ठेकेदार से रामू ने साफ़ साफ कह दिया था कि उनके जीते जी ये नही हो सकता है। मगर हफ्ते भर के बाद ही मामले में ऐसा मोड़ आया कि रामू ही इस दुनिया में नही रहे थे।

आखिर कब मिलेगा इंसाफ ?

रामू हत्याकांड जैसे जघन्य हत्या में पुलिस को इन्साफ दिलाने के लिए काफी मेहनत करना पड़ेगा। शायद इसी मेहनत और वक्त की कमी के कारण पुलिस गंभीरता से इस मामले पर काम ही नही कर पा रही है। फिलहाल मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दिया है और अनसुलझे केसेस की लिस्ट में एक केस नम्बर और भी बढ़ गया है। रामू की आत्मा इन्साफ का आज भी इंतज़ार में है कि उसके मौत का इन्साफ मिल सके। परिवार अपने रोज़मर्रा के कामो में व्यस्त हो चूका है। पुलिस अपने काम में व्यस्त है। अब देखना होगा कि इस फाइल पर जमी धुल कब हटेगी ?

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