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लोहता की नवनिर्वाचित सपा पार्षद के हिस्ट्रीशीटर पति ये आपके इलाके में ‘ई पनारा अईसा गन्दा है तनिक साफ़ करवा दे, और अलावल में कूड़ा का पहाड़ बन रहा है उठवा दे’

शाहीन बनारसी

वाराणसी: लोहता की नवनिर्वाचित सपा पार्षद के हिस्ट्रीशीटर पति जो पार्षद के कर्तव्यों हेतु पूरी तरह समस्त ज़िम्मेदारी अपने कंधो पर उठाये है शायद फिलहाल सत्ता के मद में चूर है। शायद तभी तो जब लोहता क्षेत्र के अलावल स्थित सरकारी सहायता प्राप्त एक बहुचर्चित और अक्सर चर्चाओं के केंद्र में रहने वाले मदरसे मदरसा फैजुलउलूम के छात्रो ने खुद के पीने के पानी हेतु हंगामा किया और हमने खबर लिखा तो पार्षद जी के हिस्ट्रीशीटर पति काफी नाराज़ हो गए।

शायद उन्होंने खुद को पार्षद पति नही जरनल जॉन एडम्स समझ रखा है और इस वर्ष 2023 को वह 1823 समझ रहे है। तभी तो एक सोशल मीडिया ग्रुप में उन्होंने हमारी खबर को ही ‘फेक न्यूज़’ करार देने लगे और छात्रो के विरोध तथा मदरसा प्रबंध समिति के समर्थन में ‘बिल्ली कहा मरी थी’ का सबूत मांगने लगे। वो तो बढ़िया हुआ कि उन्होंने बिल्ली के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग सोशल मीडिया पर नही किया। वरना हमको तो साहब बड़े चक्कर लगाने पड़ते कि ‘भईया पानी के टंकी की बिल्ली’ का पोस्टमार्टम हुआ था कि नही?’

वैसे उनकी जानकारी के लिए हमने बच्चो के बयान का वीडियो भेज दिया तो उसको भी नही मान रहे थे। भाई सपा पार्षद के पति है और उनकी अर्धांगनी नवनियुक्त पार्षद हुई है। उनका पूरा समर्थन मदरसा प्रबंध समिति के साथ था जिसके ऊपर वर्षो से घोटाले के आरोप लग रहा है। मगर मदरसा बोर्ड खुद की आँखों पर पट्टी क्यों बांधे हुवे है नही मालूम। सब कुछ चल रहा है। वह शायद कहना चाहते होंगे कि उनकी पत्नी सपा की पार्षद है और उनके इलाके के खबर को उनसे पूछ कर कोई बनाये। शायद उन्हें सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जरनल जॉन एडम्स का कार्यभार दे रखा होगा।

यही नही उन्होंने आनन् फानन में अपने स्टील के चम्मचो को फोन कर कर के लोहता से लेकर लल्लापुरा तक हंगामा काट दिया कि ‘शाहीन बनारसी’ को सपा के सभी सोशल मीडिया ग्रुप से निकालो। शायद उनका तात्पर्य उनके वो ‘स्पून’ नही समझ सकते होंगे जो खून के रिश्तो को भी दरकिनार करके उनकी पादुका पूजन में लगे है। मगर हमको समझ आ गया कि असल में वह ‘पढ़ कर हमारा लिखा, बेसाख्ता चिल्ला उठे, छीन लो इसके हाथो कलम, कमबख्त जान लेती है।’ आप शेर पढ़ कर मन में वाह कह सकते है मगर स्टील स्पून जो रिश्तो से ऊपर तलवा पूजन रखते है को ये भी बुरा लग जायेगा।

भले ही वह खुद को जरनल जॉन एडम्स समझ सकते है जिसने भारत में प्रेस की आज़ादी को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। मगर शायद ये ध्यान नही है कि यह वर्ष 1823 नही बल्कि 2023 है। हमको हमारा काम आता है। हमारा कर्तव्य मजलूम की आवाज़ उठाना है तो आप उसको रोक सकते है तो अपने स्टील स्पून से कह कर रोक के देख ले। फेसबुक पर सफाई को लेकर खुद की पीठ खुद से थपथपा सकते है अपने स्टील स्पून्स से अपना जयकारा लल्लापुरा तक करवा सकते है। मगर थोडा आपका कर्त्तव्य आपको हम याद दिला देते है।

आपको इलाके की जनता ने खुद के सेवा हेतु चुना है। फोटो में ‘ई पनारा’ तो आप पहचान रहे होंगे। चुनाव के समय आपका वायदा आपको याद भी होगा और चुनाव बीत गया है तथा आपकी पत्नी ने शपथ ग्रहण कर लिया है। शपथ के साथ ही ई पनर्वा तनिक साफ़ करवा दे, बहुते मच्छर रहता है इलाके में। साथ ही ‘ऊ जो अलावल में कूड़ा का पहाड़’ बन रहा है उसको भी उठवा दे। बहुते कूड़ा है। मेरे हिसाब से कम से कम 50 ट्रैक्टर तो कूड़ा होगा ही। बकिया हमको हमारा काम आता है और हम अपना काम बढ़िया करते है, ये बात हमे पता है आपसे प्रमाण पत्र लेने की हमें जद्दोजेहद नही है।

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