जय हो वाराणसी विकास प्राधिकरण: सील भवन संख्या सीके 43/171-164 पर सील तोड़ दिनदहाड़े हो रहा अवैध निर्माण, थाना चौक की आँखों में धुल झोक रहा बिल्डर शाहिद मौलाना, बिल्डर ने कहा ‘पैसे देकर सब मैनेज है’

तारिक आज़मी

वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण पर अक्सर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते है। मगर शायद यह पहली बार होगा जब एक सप्ताह पहले सील भवन का अवैध निर्माण धड़ल्ले से अवैध रूप से सील तोड़ कर जारी हो गया है। तस्वीरे गवाह है जो लोकेशन के साथ खीची गई है, बताती है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण और चौक पुलिस पर गंभीर सवाल है। आखिर कैसे ऐसे खुल्लम खुल्ला अवैध निर्माण हो गया है?

बताते चले कि अभी पिछले सप्ताह ही वाराणसी विकास प्राधिकरण ने चौक जोन के भवन संख्या सीके0 43/171-164 को अवैध निर्माण घोषित करते हुवे सील कर दिया था। सील करने के बाद इस भवन को वाराणसी विकास प्राधिकरण ने थाना चौक को सुपुर्द कर दिया। इसके बाद बिल्डर और भवन स्वामी जो खुद को लोकतंत्र सेनानी और समाजवादी पार्टी का नेता होने का दावा करता है, के द्वारा जमकर जुगाड़ करना शुरु कर दिया है।

इस सम्बन्ध में मंगलवार को असर की नमाज़ के पहले बिल्डर शाहिद मौलाना मुझे मिलते है और बताते है कि वीडीए के जेई और थाना मैनेज हो गया है। उन्होंने बताया कि थाने की सेटिंग छोटी रकम के बल पर हुई है और वाराणसी विकास प्राधिकरण के जेई साहब को उनकी मुहमांगी सेटिंग दिया गया है। जिसमे वह जोनल को भी सेट कर चुके है और कल (बुद्धवार) से काम चालु हो जायेगा। बिल्डर ने तो यहाँ तक दावा किया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण में पैसा फेकने पर तमाशा देखा जा सकता है।

वैसे तो मैंने बिल्डर शाहिद मौलाना की बातो को बस कोरा भौकाल समझा था। मगर जब बुद्धवार को दिन दहाड़े काम चालु हो गया और ताबड़तोड़ एक पिलर उठ गया, सील किये गए भवन पर रातो रात स्लैब ढाल दिया, तब फिर हमको भी मानने पर मजबूर होना पड़ा कि वाकई सेटिंग नाम की भी कोई चीज़ होती है। वैसे तो पुलिस के निगरानी में वाराणसी विकास प्राधिकरण ने यह भवन दे रखा है, मगर पुलिस शांति व्यवस्था देखे या फिर ऐसे अवैध निर्माण पर ध्यान दे। रही वाराणसी विकास प्राधिकरण की बात तो वह आराम कर रहा है। जब कोई गंभीर घटना दुर्घटना हो जाती है तब फिर प्राधिकरण जागता है।

विकास प्राधिकरण के जोनल का कहना है कि ‘मैं इस मामले में खुद जांच करूँगा और यदि सील टूटी है तो जमकर हथौड़े भी चलेगे अवैध निर्माण पर।’ मगर हमारा सवाल ये है कि जैसे बिल्डर ने मुझसे दावा किया कि मोटी रकम से मामला मैनेज हुआ है, तो फिर आखिर जोनल साहब किस मुह से इस अवैध निर्माण पर कार्यवाही करेगे। जबकि इसी भवन के एक हिस्से सीके 43/164 पर वर्ष 2019 में वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अक्टूबर माह में वाद संख्या 18/19 के तहत सील किया था। क्या वह फाइल किसी डस्टबीन का हिस्सा बन गई है? आखिर ऐसे कैसे हो सकता है कि जेई जिस दिन छुट्टी पर जाते है उसी दिन धड़ल्ले से अवैध निर्माण चालू हो जाता है। ऐसे में बिल्डर के सब कुछ मैनेज होने के दावो को पूरा बल मिलता है।

बहरहाल साहब, एक बात तो आज के इस ताबड़तोड़ अवैध निर्माण से सिद्ध हो गई है कि पैसो में शक्ति अपार होती है। वाराणसी विकास प्राधिकरण में तो ख़ास तौर पर इन पैसो की शक्ति चलती है। पैसा फेक, तमाशा देख के तर्ज पर सब कुछ होता है। हमारे पर बुद्धवार को हुवे अवैध निर्माण का वीडियो साक्ष्य स्वरुप उपलब्ध है। सील टूटी हुई है और निर्माण खुद भवन स्वामी कुर्सी लगा कर बैठ कर करवा रहा है। इतना बल तो तभी हो सकता है जब सिस्टम को आप पुरे खरीद कर बैठ जाए। ऐसे में बिल्डर शाहिद मौलाना द्वारा हमसे किया गया दावा सत्य साबित होता है।

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