वाराणसी पुलिस कमिश्नर साहब और वीडीए के वीसी साहब..! दो में से एक बात है, या तो चौक पुलिस ने दालमंडी ने यह 83 की कार्यवाही गलत किया, या फिर वीडीए के जेई साहब ने प्रचंड घुस लेकर यह शीश महल बनवा दिया

तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे है, वही वीडीए के कर्मियों पर भी अक्सर घूसखोरी का आरोप लगता है। मगर इस बार मामला कुछ ऐसा है कि या तो पुलिस ने अदालत के हुक्म की तामील ही सरासर गलत किया है, या फिर वीडीए के जेई साहब ने प्रचंड भ्रष्टाचार करके रातो-दिन अवैध निर्माण करवा डाला। या फिर सब कुछ जादुई जैसी स्थिति में है।

दरअसल यह पूरा मामला ऐसा है कि सब कुछ उलझा हुआ दिखाई दे रहा है। समझ से एकदम परे बात है जो बात दस्तावेजों में दर्ज है। यह भवन संख्या सीके 43/164 का कथित रूप से मालिकाना हक बादशाह अली के पास है। बादशाह अली खुद को लोकतंत्र सेनानी कहते है और समाजवादी पार्टी का नेता बताते है। PNN24 न्यूज़ इन सभी दावो की पुष्टि नहीं करता है। मगर आज बात उन दस्तावेजों के आधार पर होगी जो दस्तावेज़ या तो सरकारी है, या फिर वह दस्तावेज़ अदालत से सम्बन्धित है।
पुरे मामले को समझने के लिए आपको पहले एक मुकदमा संख्या 1287 वर्ष 2019 ACJM पर गौर करना पड़ेगा। अप्राकृतिक दुष्कर्म से सम्बंधित इस मुक़दमे में राशिद खान वांछित है। बताया जाता है कि राशिद खान भवन संख्या 43/164 का मूल निवासी है और बादशाह अली की बहन का बेटा है। राशिद खान के ऊपर अदालत ने वर्ष 2025 में कुर्की की कार्यवाही का आदेश दिया था। आदेश का पालन करने के लिए तत्कालीन चौकी इंचार्ज भृगुपति त्रिपाठी मौके पर जाते है और अदालत को एक तस्वीर के साथ सूचित करते है कि उक्त जगह पर सिर्फ एक मैदान है और कोई भवन नहीं है। पुलिस के रिपोर्ट की प्रति हमारे पास सुरक्षित है। साथ ही दरोगा जी ने निषाद खान, आदिल खान और इरफ़ान से इस मामले में गवाही दिलवाया तथा फोटो भी खीचा। हमारे एक पुलिस सूत्र ने उक्त फोटो को हमको प्रदान किया जो आप देख सकते है।
यह रिपोर्ट पुलिस ने 2 फरवरी 2025 को तैयार किया है। थाने के रोजनामचे में क्रम संख्या 31 दिनांक 2 फरवरी 2025 समय सायकाल 5:47 पर दर्ज होती है। दर्ज करने वाले दरोगा जी तत्कालीन दालमंडी चौकी इंचार्ज भृगुपति त्रिपाठी थे। अब यहाँ थोडा गौर आपको करवाते चलते है कि आरोपी राशिद खान के मामा बादशाह अली सपा नेता है, साथ ही तीनो गवाह आदिल खान, इरफ़ान और निषाद भी समाजवादी पार्टी के नेता है। ये महज़ इत्तेफाक हो सकता है, ये भी हम मान लेते है और पुलिस कार्यवाही निष्पक्ष और सही हुई इसकी बात भी हम मान लेते है। मगर कुछ और कागज़ात हमारे हाथ लगे जिससे इस कार्यवाही पर भी पुलिस की कार्यशैली सवालो के घेरे में खडी हो गई।
अगला दस्तावेज़ है वाराणसी विकास प्राधिकरण का। वाराणसी विकास प्रधिकरण ने भवन संख्या 43/164 यानि जिस मकान को कुर्की की कार्यवाही के समय पुलिस ने बताया कि वहां कोई निर्माण ही नहीं है, बल्कि मैदान जैसा पड़ा हुआ है को वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा वाद संख्या 18/19 दिनांक 4/10/2019 के द्वारा अवैध निर्माण बताते हुवे सील कर दिया गया था। सन और तारीख ध्यान रखियेगा। वर्ष 2019 के अक्टूबर में जिस भवन के हो रहे निर्माण को वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अवैध बताते हुवे सील किया, वह निर्माणाधीन भवन वर्ष 2025 के फरवरी में कैसे समतल मैदान हो गया ?
दूसरा बड़ा मुद्दा ये है कि फरवरी 2025 में जो भवन संख्या समतल मैदान हो चूका है, वह भवन संख्या महज़ 3 महीनो में कैसे शीश महल के तरीके से तैयार हो गया। जो भवन वर्ष 2019 में सील हुआ उसकी सील कब खुली और कब इसका निर्माण शुरू हुआ और कितनी तेज़ी के साथ निर्माण हुआ कि महज़ ढाई महीनो में ही शीश महल जैसा निर्मित हो गया, जिसकी दुकाने बिकने लगी और दुबारा वाराणसी विकास प्राधिकरण ने सील कर दिया ? अब दो में से एक बात है कि या तो पुलिस कार्यवाही धारा 83 में गलत हुई या फिर वाराणसी विकास प्राधिकरण फर्जी कार्यवाही कर रहा है और कागज़ी खानापूर्ति कर रहा है। या फिर यह भवन एक जादुई भवन है, जो वाराणसी विकास प्राधिकरण को दिखाई देता है और पुलिस को नहीं दिखाई देता है। अभी इस संपत्ति के सम्बन्ध में हमारे और भी खुलासे का इंतज़ार करे…!











