ऐतिहासिक डील: भारत-अमेरिका के बीच हुआ 10 साल का ‘मेजर डिफेंस पार्टनरशिप’ समझौता—रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया नए युग का आगाज़!

तारिक खान
PNN24 न्यूज़, कुआलालंपुर। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष युद्ध सचिव (Secretary of War) पीट हेगसेथ ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में एक ऐतिहासिक 10 वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। राजनाथ सिंह ने इस समझौते को दोनों देशों की मज़बूत होती रणनीतिक साझेदारी और रक्षा संबंधों में नए युग का आगाज़ बताया है।
समझौते की मुख्य बातें (The Big Deal)
यह समझौता न सिर्फ भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों को एक लंबे समय की नीतिगत दिशा देगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- 10 साल की साझेदारी (Decade of Partnership): यह समझौता अगले दस वर्षों के लिए दोनों देशों के रक्षा सहयोग की रूपरेखा तैयार करेगा।
- रणनीतिक तालमेल (Strategic Convergence): राजनाथ सिंह ने कहा कि यह समझौता बढ़ते रणनीतिक तालमेल का स्पष्ट संकेत है, जिसका उद्देश्य मुक्त, खुला और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना है।
- तकनीक और सहयोग (Tech & Cooperation): इस फ्रेमवर्क के तहत सूचना साझाकरण (Information Sharing), समन्वय (Coordination) और तकनीकी सहयोग (Technological Cooperation) को गहरा किया जाएगा। अमेरिका ने कहा है कि दोनों देशों के रक्षा संबंध कभी इतने मज़बूत नहीं रहे।
भारत के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और टेक्नोलॉजी का बूस्ट
समझौते के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी युद्ध सचिव पीट हेगसेथ के साथ कुछ महत्वपूर्ण औद्योगिक और तकनीकी मुद्दों पर भी चर्चा की, जो भारत की ‘आत्मनिर्भर रक्षा नीति’ के लिए निर्णायक हैं।
- इंजन डिलीवरी: राजनाथ सिंह ने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) के लिए महत्वपूर्ण F404 इंजन की डिलीवरी में हो रही देरी का मुद्दा उठाया। साथ ही, F414 इंजन के भारत में संयुक्त उत्पादन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और जीई एयरोस्पेस (GE Aerospace) के बीच समझौते को जल्द अंतिम रूप देने पर ज़ोर दिया।
- अत्याधुनिक तकनीक: इस डील से भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार, हेलीकॉप्टर, ड्रोन जैसी उन्नत रक्षा तकनीक मिलने की उम्मीद है, जिससे भारतीय सेना की क्षमता में भारी इजाफा होगा।
- क्षेत्रीय स्थिरता: चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक आधारशिला का काम करेगी।
इस समझौते को टैरिफ (Tariff) को लेकर दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के बीच एक बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है। यह स्पष्ट करता है कि रक्षा संबंध दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बने रहेंगे।










