PNN24 News एक्सक्लूसिव: इसराइल-हमास जंग के बाद युद्ध विराम: खंडहर में तब्दील हुए ग़ज़ा में ज़िंदगी की वापसी की देखें तस्वीरें

तारिक आज़मी
ग़ज़ा सिटी: महीनों की भीषण लड़ाई और तबाही के बाद, ग़ज़ा पट्टी में आखिरकार सन्नाटा टूटा है। इज़राइल और हमास के बीच हुए युद्ध विराम (सीजफायर) ने इस ज़मीन को एक नई, लेकिन बेहद मुश्किल, सुबह दी है। हर तरफ खंडहर, मलबे और टूटे घरों का दर्द है, लेकिन इन्हीं खंडहरों से अब ‘ज़िंदगी’ अपनी वापसी का रास्ता खोज रही है। PNN24 News आपको ग़ज़ा के उन दृश्यों से रूबरू करा रहा है, जहां दर्द और उम्मीद साथ-साथ खड़े हैं।
खंडहरों के बीच लौटते कदम
युद्ध विराम के प्रभावी होते ही, विस्थापित हुए हज़ारों फ़लस्तीनी अपने घरों की ओर लौट चले हैं। लेकिन यह ‘घर वापसी’ किसी उत्सव से कम नहीं है, क्योंकि उनके घर अब बस यादों का हिस्सा रह गए हैं। एक तस्वीर में एक छोटा बच्चा, अपने पिता की उंगली थामे हुए, उस जगह पर खड़ा है जहाँ कभी उसका घर हुआ करता था। चारों ओर बस कंक्रीट के ढेर हैं। बच्चे के चेहरे पर मासूमियत है, जबकि पिता की आँखों में बीता हुआ दर्द और आने वाले कल की अनिश्चितता साफ झलकती है। यह दृश्य बताता है कि ज़िंदगी अब मलबे को हटाकर फिर से शुरुआत करने की हिम्मत जुटा रही है।


चुनौती: क्या अब निहत्था होगा हमास?
भले ही युद्ध विराम लागू हो गया है, लेकिन राह आसान नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और इज़राइल अब इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि हमास को निरस्त्रीकरण (Disarmament) करना होगा। हालांकि, हमास के अधिकारियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। यह सवाल अभी भी कायम है कि ग़ज़ा पर कौन शासन करेगा और क्या यह युद्ध विराम एक स्थायी शांति की ओर ले जा पाएगा?
एक नई शुरुआत का दर्द
ग़ज़ा के लोगों के लिए यह युद्ध विराम सिर्फ़ हमलों का रुकना नहीं है। यह अपने प्रियजनों की यादों को सँजोकर, टूटे हुए सपनों को फिर से जोड़ने की शुरुआत है। आने वाले दिन बहुत कठिन होंगे – पुनर्निर्माण (reconstruction) और अनिश्चितता का सामना करना होगा। लेकिन जैसा कि एक स्थानीय फ़लस्तीनी ने कहा, “हम फिर से उठेंगे। हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।”















