PNN24 News: देखे तस्वीरो में ‘घर वापसी’ का वो लम्हा..! इजरायल की कैद से रिहा हुए फ़लिस्तीनी नागरिकों का गज़ा में हुआ ग्रैंड वेलकम, उमड़ी खुशी की सैलाब जैसी भीड़
PNN24 News: इजरायल की जेलों से रिहा होकर जब फ़लिस्तीनी नागरिक गाज़ा (Gaza) पहुंचे, तो उनके स्वागत में इमोशनल मोमेंट (emotional moment) देखने को मिला। खान यूनिस (Khan Yunis) में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, हर तरफ़ खुशी का सैलाब (flood of joy) था। देखें, कैसे अपनों की 'घर वापसी' पर परिवार रो पड़े और क्यों यह क्षण गाज़ा के लोगों के लिए नई ज़िंदगी (new life) जैसा था। पूरी खबर, मार्मिक तस्वीरें और विश्लेषण पढ़ें!

शफी उस्मानी
डेस्क: युद्ध के मैदान में खुशियाँ दुर्लभ होती हैं, लेकिन सोमवार को गाज़ा पट्टी (Gaza Strip) में एक ऐसा ही दिल को छू लेने वाला मंजर देखने को मिला। जब इजरायली जेलों से रिहा होकर फ़लिस्तीनी नागरिक अपने वतन लौटे, तो उनके स्वागत के लिए गाज़ा के खान यूनिस शहर (Khan Yunis) में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। यह पल न सिर्फ़ उन परिवारों के लिए, बल्कि पूरी गाज़ा पट्टी के लिए एक ‘नई ज़िंदगी’ के जन्म जैसा था।
सूनी आँखों में उम्मीद की चमक
रिहा हुए कैदियों को लेकर जब बसें गाज़ा के नासिर अस्पताल (Nasser Hospital) पहुंचीं, तो मानो खुशी का सैलाब आ गया। अपनों को वापस देखने की आस में हजारों लोग अस्पताल के बाहर जमा थे। हर चेहरा उत्सुक था, हर आँख में वर्षों के इंतज़ार के बाद उम्मीद की चमक थी।

तस्वीरें जो बयां करती हैं दर्द और खुशी की कहानी
तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कैसे इन लोगों का ‘नायकों’ जैसा स्वागत किया गया। कई लोग वर्षों से जेलों में बंद थे, और अपनों से मिलना उनके लिए किसी भावनात्मक विस्फोट से कम नहीं था।
- आँसू और मुस्कान: कुछ कैदी तो भावनाओं के ज्वार में बह गए और अपने परिवार के सदस्यों को देखकर रो पड़े। उनकी ये नम आँखें जेल में बिताए गए सालों के दर्द को बयां कर रही थीं, लेकिन उनके चेहरे पर एक नई आज़ादी की मुस्कान भी थी।
- गोद में उठाया: युवाओं ने अपने रिहा हुए साथियों को कंधों पर उठा लिया, मानो वे कोई जंग जीतकर लौटे हों।
- परिवार का पुनर्मिलन: सबसे मार्मिक क्षण वह था जब एक रिहा हुए कैदी ने अपनी मां के पैर छूए और उन्हें गले लगाया। सालों बाद बेटे को वापस पाकर मां की आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। यह सिर्फ़ दो लोगों का नहीं, बल्कि युद्ध से जूझ रहे पूरे समाज का पुनर्मिलन था।













