जश्न-ए-ईद मिलाद्दुन्नबी: अंजुमन फारुकिया के कार्यक्रम में नातिया कलाम पर जमकर झूमे आशिक-ए-रसूल

शफी उस्मानी

वाराणसी: अमन और मोहब्बत की नगरी शहर बनारस में जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का माहौल पूरे शबाब पर है। इसी कड़ी में, बीते शनिवार की रात बेनियाबाग़ भीखाशाह गली के पास अंजुमन फारुकिया द्वारा आयोजित प्रोग्राम में आमंत्रित समस्त अन्जुमनो ने शानदार नातिया कलाम पेश कर इस शानदार कार्यक्रम ने मिठास घोल दी। कार्यक्रम में शामिल हुए हज़ारों आशिक-ए-रसूल नातिया कलामों की सदाओं पर जमकर झूमे और झूम-झूम कर रसूल की शान में मोहब्बत का इज़हार किया।

प्रोग्राम की शुरुआत कुरआन मजीद की मुक़द्दस आयतों की तिलावत से हुआ और गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुवे मंच पर आमंत्रित अतिथियों को दुशाला पेश कर उनको माला पहना कर स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में पहला कलाम एक नन्ही बच्ची हया आज़मी ने ‘हमने आँखों से देखा नहीं है मगर, उनकी तस्वीर सीने में मौजूद है’ पेश किया। इसके बाद बच्चो की अंजुमन ने अपने कलाम से जमकर तारीफे बटोरी।

पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की विलादत की खुशी में अंजुमन फारुकिया ने यह खास महफ़िल सजाई थी। जैसे ही मशहूर अंजुमनो ने अपनी सुरीली आवाज़ में पैगंबर की तारीफ़ में कलाम पेश करना शुरू किया, पूरा माहौल ‘नारे तकबीर’ और ‘नारे रिसालत’ के सदाओं से गूंज उठा। रात भले ही स्याह थी मगर जश्न-ए-आमद-ए-रसूल की रोशनी से चमचमा रहा था। जैसे-जैसे नातिया कलामों का सिलसिला आगे बढ़ा, महफ़िल में मौजूद हर शख्स की आंखें अक़ीदत से नम होती गईं।

हज़रत मोहम्मद साहब की सीरत (जीवन चरित्र) और उनकी शिक्षाओं पर आधारित कलाम सुनकर लोग खुद को झुमने से रोक नहीं पाए। यह नजारा सिर्फ खुशी का नहीं, बल्कि पैगंबर-ए-अकरम से गहरी मोहब्बत और सम्मान का भी था, जिसने सभी को एक सूत्र में बांध दिया। अंजुमन फारुकिया के इस आयोजन में शहर और आसपास के शहरों आये अंजुमनो ने अपने नातिया कलामों के ज़रिए पैगंबर-ए-इस्लाम के महान संदेश को याद किया और इस मुक़द्दस मौके पर अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से मुल्क में अमन-शांति की दुआएं मांगी। कार्यक्रम में शिरकत करने वाली फैजाबाद से आई अंजुमन ने पहला मुकाम हासिल किया।

यह कार्यक्रम वाराणसी की गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक खूबसूरत मिसाल भी पेश करता है, जहां हर खुशी और हर त्योहार को लोग पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। अंजुमन फारुकिया ने इस सफल आयोजन के ज़रिए यह साबित कर दिया कि पैगंबर की मोहब्बत में डूबे आशिकों के लिए यह जश्न किसी भी पैमाने पर कम नहीं है। देर रात तक चली इस रूहानी महफ़िल में अक़ीदत का ये कारवां इसी तरह आगे बढ़ता रहा।

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