50 साल बाद अपने गाँव लौटे NSCN के प्रमुख टी. मुइवा: थम गया उखरुल, आँखों में खुशी और इतिहास का बोझ

ईदुल अमीन
PNN24 News डेस्क: 50 साल! यह महज़ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि थुइंगलेंग मुइवा (Thuingaleng Muivah) के जीवन के संघर्ष, अलगाव और एक पूरे नगा आंदोलन का इतिहास है। और आज, 91 साल की उम्र में, NSCN (IM) के इस कद्दावर नेता ने आखिरकार मणिपुर के उखरुल जिले में स्थित अपने पैतृक गाँव सोमदल की धरती पर कदम रखा। यह उनके लिए केवल घर वापसी नहीं थी, बल्कि नगा समुदाय के लिए एक भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण था।
‘अतो किलोनसर’ की घर वापसी: थम गया पूरा उखरुल
मुइवा, जिन्हें नगा समुदाय में सम्मान से ‘अतो किलोनसर’ (Ato Kilonser – प्रधानमंत्री) कहा जाता है, बुधवार को हेलीकॉप्टर से दीमापुर से उखरुल जिला मुख्यालय पहुँचे।
- भव्य स्वागत: उखरुल में हज़ारों की संख्या में तंगखुल नगा (Tangkhul Naga) समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में उनका स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े। उनके चेहरे पर दशकों का इंतज़ार और अपने सबसे बड़े नेता को देखने की खुशी साफ झलक रही थी।
- भावुक पल: कई बुजुर्गों और युवाओं के लिए यह एक भावुक पल था। एक स्थानीय निवासी ने मीडिया से कहा, “यह सभी नगाओं के लिए एक ऐतिहासिक और भावुक क्षण है। हम वर्षों से उनका इंतज़ार कर रहे थे। वह साहस और बुद्धिमत्ता के प्रतीक हैं।”
- सुरक्षा और व्यवस्था: उनकी वापसी को देखते हुए उखरुल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, साथ ही ड्रोन के इस्तेमाल पर भी अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया था।
50 साल का लंबा अंतराल…
मुइवा ने 1970 के दशक की शुरुआत में नगा आंदोलन में शामिल होने के लिए अपना गाँव सोमदल छोड़ दिया था। इन पाँच दशकों में उन्होंने भूमिगत रहते हुए और कई विदेशी गंतव्यों में रहते हुए नगा स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। 1997 में भारत सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता होने के बाद वह नगा शांति वार्ता के मुख्य वार्ताकार रहे हैं।
इससे पहले 2010 में भी उन्होंने सोमदल आने की कोशिश की थी, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने उन्हें कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए रोक दिया था, जिसके बाद काफी तनाव पैदा हुआ था। इस बार, उनकी यात्रा को मेइती (Meitei) और कुकी-जो (Kuki-Zo) समुदायों सहित विभिन्न संगठनों का भी समर्थन मिला है, जो मणिपुर के मौजूदा जातीय हिंसा के दौर में शांति और सौहार्द का एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
क्यों ख़ास है यह यात्रा?
मुइवा की यह वापसी ऐसे समय में हो रही है जब मणिपुर मई 2023 से जातीय हिंसा की चपेट में है। ऐसे में, नगा नेता का अपने जन्मस्थान पर आना न सिर्फ एक व्यक्तिगत यात्रा है, बल्कि यह नगा समुदाय की एकता और राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का एक बड़ा कदम है। सोमदल में मुइवा एक सप्ताह तक रुकेंगे और इसके बाद दीमापुर लौट जाएंगे। यह यात्रा नगा राजनीतिक संघर्ष के इतिहास में एक नया, महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है।










