बिहार विधानसभा चुनाव: मुकेश सहानी को महागठबंधन में इतनी ‘तवज्जो’ क्यों? समझिए ‘सन ऑफ मल्लाह’ की ताकत…!

निशा रोहतवी
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चला है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया हो, लेकिन इस गठबंधन ने विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया है। बिना किसी विधायक के एक छोटी पार्टी के नेता को इतनी बड़ी तवज्जो क्यों मिल रही है? इसके पीछे की राजनीति को समझना बेहद जरूरी है।
1. निषाद वोट बैंक पर सीधी नज़र: ‘मल्लाह’ का महत्व
मुकेश सहनी को महागठबंधन में इतनी महत्ता मिलने का सबसे बड़ा कारण उनका निषाद (मल्लाह) वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है।
- बड़ा वोट शेयर: बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) करीब 30% है, जिसमें निषाद समुदाय (मल्लाह, बिंद, केवट, मांझी) की आबादी लगभग 9 से 13 प्रतिशत मानी जाती है। यह वोट बैंक कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है।
- एकजुटता का चेहरा: सहनी ने खुद को “सन ऑफ मल्लाह” के तौर पर स्थापित किया है और निषाद समाज को संगठित करने में सफल रहे हैं। अति पिछड़ा वर्ग से एक बड़ा चेहरा होने के नाते, महागठबंधन इस चाल से EBC वोट में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है, जो पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार के साथ रहा है।
2. उपमुख्यमंत्री पद का ऐलान: रणनीतिक दांव
महागठबंधन ने सहनी को चुनाव से पहले ही डिप्टी सीएम उम्मीदवार घोषित करके एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक खेला है।
- गठबंधन में एकता का संदेश: इस ऐलान से गठबंधन ने यह संदेश दिया है कि वे एक जुटा हुआ मोर्चा हैं, जिसमें छोटे सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक स्थान मिलता है। यह बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को चुनौती देने की तैयारी है, जो अब तक अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाया है।
- आंदोलनकारी चेहरा: सहनी एक ऐसा चेहरा हैं जो लगातार निषाद समुदाय को आरक्षण (Scheduled Caste status) देने की मांग को लेकर मुखर रहे हैं। उनकी इस सक्रियता को महत्व देकर महागठबंधन सामाजिक न्याय की अपनी पिच को मजबूत कर रहा है।
3. NDA से जुड़ने की अटकलों पर विराम
मुकेश सहनी पहले NDA का हिस्सा रह चुके हैं और हाल के दिनों में उनके सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन से असंतुष्ट होने की खबरें थीं, जिससे उनके NDA में जाने की अटकलें लग रही थीं।
- ‘बगावत’ से फायदा: महागठबंधन ने उन्हें डिप्टी सीएम का पद देकर न सिर्फ इन अटकलों पर विराम लगाया, बल्कि उन्हें खुश भी किया। 2020 में भी सहनी ने NDA के साथ मिलकर 4 सीटें जीती थीं। उनकी यह चुनावी क्षमता और NDA को कमजोर करने की संभावना ही उन्हें इतना महत्वपूर्ण बनाती है।
संक्षेप में, मुकेश सहनी की ताकत उनके समुदाय की जनसंख्या और वोटों को एकजुट करने की क्षमता में निहित है। महागठबंधन जानता है कि सत्ता तक पहुंचने के लिए निषाद समाज का समर्थन जरूरी है, और सहनी ही इस समुदाय को साधने की सबसे मजबूत कड़ी हैं।











