घर वापसी का संघर्ष: दिवाली, छठ पर रेलवे की बदहाली पर राहुल गांधी का बड़ा सवाल – ‘कहाँ हैं 12,000 स्पेशल ट्रेनें?’

निशा रोहतवी

PNN24 न्यूज़ डेस्क: त्योहारों का महीना शुरू हो चुका है और करोड़ों भारतीय अपनों से मिलने के लिए रेलगाड़ियों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी देश के रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अमानवीय भीड़ देखने को मिल रही है। इस बदहाल व्यवस्था को लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सीधे केंद्र सरकार पर हमला बोला है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर वीडियो और पोस्ट साझा करते हुए दिवाली, भाईदूज और छठ पूजा के लिए रेलवे द्वारा किए गए “खास इंतज़ामों” पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

भीड़, संघर्ष और ‘खोखले दावे’

राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में बिहार जाने वाले यात्रियों की दुर्दशा को प्रमुखता से उठाया।

  • ‘घर लौटने की लालसा संघर्ष बनी’: उन्होंने लिखा, “त्योहारों का महीना है – दिवाली, भाईदूज, छठ। बिहार में इन त्यौहारों का मतलब सिर्फ आस्था नहीं, घर लौटने की लालसा है… लेकिन यह लालसा अब एक संघर्ष बन चुकी है।”
  • ठसाठस भरी ट्रेनें: कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बिहार जाने वाली ट्रेनें ठसाठस भरी हैं, टिकट मिलना असंभव है, और सफर अमानवीय हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई ट्रेनों में क्षमता से 200 प्रतिशत तक यात्री सवार हैं, “लोग दरवाजों और छतों तक लटके हैं।”
  • 12,000 स्पेशल ट्रेनें कहाँ?: रेलवे द्वारा त्योहारों के लिए 12,000 स्पेशल ट्रेनें चलाने के दावे पर सवाल उठाते हुए, राहुल गांधी ने पूछा कि वे ट्रेनें कहाँ हैं और क्यों हर साल हालात बदतर होते जा रहे हैं।

‘यह अधिकार है, एहसान नहीं’

राहुल गांधी ने इस भीड़ और अव्यवस्था को “NDA की धोखेबाज नीतियों और नीयत का जीता-जागता सबूत” बताया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि: “यात्रा सुरक्षित और सम्मानजनक हो यह अधिकार है, कोई एहसान नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि अगर राज्य में पर्याप्त रोजगार और सम्मानजनक जीवन होता, तो लोगों को हर साल इस तरह हजारों किलोमीटर दूर भटकना नहीं पड़ता। यात्रियों की यह दुर्दशा रेलवे की व्यवस्थाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है, ख़ासकर जब सरकार हर साल त्योहारों के लिए विशेष तैयारियां करने का दावा करती है। अब देखना यह है कि कांग्रेस के इस हमले पर रेल मंत्रालय की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है।

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