दहला देने वाली घटना: सतारा में महिला डॉक्टर ने हथेली पर सुसाइड नोट लिखकर दी जान; पुलिस अधिकारी सहित दो पर यौन उत्पीड़न का आरोप

तारिक खान

PNN24 न्यूज़, सतारा (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक सरकारी अस्पताल की महिला चिकित्सक की आत्महत्या ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना इसलिए और भी ज़्यादा दिल दहला देने वाली है, क्योंकि मृतका ने खुदकुशी से पहले अपनी हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखकर अपनी आपबीती बयान की है।

हथेली पर लिखा ‘आखिरी बयान’: कौन हैं आरोपी?

गुरुवार देर रात फलटण स्थित एक होटल के कमरे में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव फंदे से लटका मिला। पुलिस को मौके से उनकी हथेली पर स्याही से लिखा एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें दो व्यक्तियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं:

  • मुख्य आरोपी (पुलिस अधिकारी): डॉक्टर ने सतारा पुलिस के एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर (PSI) गोपाल बदाने पर पिछले पाँच महीनों में बार-बार बलात्कार (Rape) करने का आरोप लगाया है।
  • दूसरा आरोपी (अन्य व्यक्ति): इसके अलावा, सुसाइड नोट में प्रशांत बांकर नामक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर (जो मृतका के मकान मालिक का बेटा बताया जा रहा है) पर भी मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है।

हथेली पर लिखे इस संदेश और बाद में सामने आए चार पन्नों के विस्तृत सुसाइड नोट ने खुलासा किया है कि महिला डॉक्टर पिछले कई महीनों से भयंकर मानसिक दबाव में थीं।

दबाव और उत्पीड़न का चक्र

रिपोर्ट्स के अनुसार, यौन उत्पीड़न के अलावा, महिला डॉक्टर पर उनके पेशे से जुड़े मामलों में भी पुलिस और राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा था।

  • फर्जी रिपोर्ट का दबाव: परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर पर पुलिस मामलों में गिरफ्तार अभियुक्तों को ‘फिट’ सर्टिफिकेट देने और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को बदलने के लिए भी दबाव डाला जा रहा था।
  • शिकायतों की अनदेखी: बताया जा रहा है कि डॉक्टर ने जून 2025 में ही पुलिस उपाधीक्षक (DySP) को उत्पीड़न की लिखित शिकायत दी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस और प्रशासन का एक्शन

मामला सामने आते ही पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले का संज्ञान लिया और सतारा पुलिस को सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया:

  • निलंबन और FIR: मुख्य आरोपी PSI गोपाल बदाने को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspend) कर दिया गया है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने (Abetment of Suicide) का मामला दर्ज किया है।
  • गिरफ्तारी: पुलिस ने कार्रवाई करते हुए शनिवार को दूसरे आरोपी प्रशांत बांकर को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि PSI गोपाल बदाने अभी भी फरार है और पुलिस की विशेष टीमें उसकी तलाश कर रही हैं।
  • जांच की मांग: महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने इस मामले में कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। विपक्ष ने भी इस केस की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने की मांग की है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक बार फिर पुलिस प्रशासन में महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों पर सवाल खड़े कर रही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पीड़ित डॉक्टर को न्याय मिल पाएगा और कब तक मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आएगा।

इस घटना के बारे में अधिक जानकारी इस वीडियो में देखें: महिला डॉक्टर ने सुसाइड से पहले हाथ पर लिखा कुछ ऐसा, पढ़ कर दंग रह गई पुलिस। यह वीडियो इस दुखद घटना और पुलिस पर लगे गंभीर आरोपों पर रिपोर्टिंग करता है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे एक बेहद गंभीर और दुखभरी घटना बताया है। मुंबई एक कार्यक्रम में शामिल होने गए सीएम ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “सरकार ने तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी को सस्पेंड किया है। गिरफ्तार करने का काम भी चालू हो गया है। जो भी इस मामले में शामिल पाए जाएंगे, उन्हें कठोर से कठोर सज़ा दी जाएगी। विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है, जो नहीं होना चाहिए।”

महिला डॉक्टर ने अपनी परेशानियों के बारे में कथित तौर पर बार-बार लिखित और मौखिक शिकायतें की थीं। उनके चाचा और भाई ने मीडिया को बताया कि उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। महिला डॉक्टर ने 19 जून 2025 को फलटण के पुलिस उपाधीक्षक को एक औपचारिक पत्र लिखकर घटना की शिकायत की थी। इस पत्र में महिला डॉक्टर ने लिखा है, “वे मुझ पर बार-बार यह रिपोर्ट करने के लिए दबाव डालते हैं कि मरीज़ (अभियुक्त) फ़िट है, जबकि वह फ़िट नहीं है और वे अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं। जब मैंने पुलिस इंस्पेक्टर को फ़ोन पर इस बारे में बताया, तो उन्होंने यह कहते हुए अस्पष्ट जवाब दिया कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है।”

इस शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर महिला डॉक्टर ने 13 अगस्त को सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई भी दायर की थी।महिला डॉक्टर ने इस आरटीआई के माध्यम से अपनी शिकायत के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया था। लेकिन महिला के भाई ने कहा कि उस आरटीआई का भी कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद, एक दूसरे पत्र में महिला ने अपनी शिकायतों को विस्तार से बताया था।

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