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सौ की नोट बांट प्रकरण के बाद कहना मुश्किल है कि योगी और स्वाति एक साथ मंच पर जल्द नजर अाएगें

शबाब ख़ान
लखनऊ: बियर बार का उदघाटन कर स्वाति सिंह नें मीडिया को तीन दिन का मसाला दे दिया था, मीडिया मे खबर के भूखे  पत्रकारों ने छककर स्वाति वाले बियर बार का अपने अंदाज में आनंद लिया। अब जब खबरों के शिकारी किसी राज्यमंत्री का शिकार करेगें तो जाहिर है सूबे के मुखिया की भृकुटियाँ तनेगीं ही। सत्ता के अंदरखानें में योगी नें स्वाति से कैसे अपनी नाराजगी जतायी यह अंदर वाले ही जाने लेकिन मीडिया में अपनी छीछालेदर देखकर स्वाति सिंह नें मन बना लिया होगा कि मौका मिलते ही वो कुछ ऐसा जरूर करेगीं जिससे बीयर की महक उनके दामन से गायब हो जाए, और मुख्यमंत्री जी भी उनसे खुश हो जाएं। हमें पक्का यकीन है कि स्वाति सिंह को योगी जी की नाराजगी बर्दाशत नही हो पा रही होगी सो उन्होने जल्दी ही एक अच्छा काम करके उन्हे खुश करने का आइडिया खोज निकाला, और इसी मंगलवार को उन्होने अपनें सुपर-डुपर आइडिया को अंजाम तक पहुँचा दिया।

दरअसल इस मंगलवार को ज्येष्ठ माह के आखिरी मंगलवार के रूप में मनाया गया। इस उपलक्ष में जगह जगह भण्डारो का आयोजन किया जाता है। एक ऐसा ही भंडारा स्वाति सिंह ने अपने कार्यलय में भी आयोजित किया। अब जब स्वाति मैम का भण्डारा होगा तो मीडिया की मौजूदगी लाजमी है। सो अपनें हथियारों से लैस भण्डारे में अपनें खानें लायक खबर सामाग्री की तलाश में मीडियाकर्मी लगे थे। तभी भण्डारे की मेजबान मैडम नें योगी जी को खुश करने और मीडिया कि चहेती बननें के लिए अपना तुरुप का पत्ता खोल दिया, और गोया वो पत्ता ऐसा कि धरती के अपनें चुम्बकीय क्षेत्र को बौना साबित कर दे। जी हॉ, जिस तुरुप के पत्ते की बात हम कर रहे है वो दरअसल सौ का पत्ता था, यानि सौ की नोट। स्वाति सिंह नें भंडारे के बाद लोगो को प्रसाद भी वितरित किया। प्रसाद में लोगो को पूरी-सब्जी दी गयी। लेकिन भंडारे में तब लोगो की भीड़ बढ़ गयी जब उनको पता चला की प्रसाद के साथ 100-100 रूपए भी मिल रहे है।
इस वजह से एक बारगी उनके कार्यालय में काफी भीड़ जमा हो गयी जिसको पुलिस ने बड़ी मुश्किल से नियंत्रित किया। बताते चले की स्वाति सिंह बलिया जिले के सरोजनीनगर विधानसभा सीट से विधायक है, और योगी सरकार में महिला एवं बाल कल्याण राज्य मंत्री का पदभार संभाले हुए है। वह पहली बार विधायक चुनी गयी है और पहली ही बार में उनको मंत्री बना दिया गया। स्वाति बतौर मंत्री पहली बार तब चर्चा में आई जब बियर बार का उदघाटन करते हुए उनकी एक तस्वीर वायरल हो गयी।
इधर प्रसाद की थाली में पूडी, सब्जी, बुंदिया के साथ रखे सौ के नोट की फोटो कैमरे में गई, उधर फेसबुक, टुईटर, व्हाटसऐप पर स्वाति सिंह पर थम चुकी चर्चाओ नें एकबारगी फिर से रफ्तार पकड़ ली। आम पब्लिक नई-नई मंत्री बनी स्वाति मैडम की अकल पर सवालिया निशान लगाने लगी। टुईटर पर एक से बढ़कर एक टुईट जैसे ‘लगता है टिकट सस्ते में पा गई थी’ …’मंत्री जी सौ के नोट बॉटकर आखिर साबित क्या करना चाहती हैं?’ ‘चलो पता चल गया मैडम वक्त-जरूरत पर काम आ सकती है’, ‘क्या भीख-भण्डारा था?’ इसी तरह के हजारो टुईट और फेसबुक स्टेटस अपडेट कर दिए गये।
उधर विपक्ष को तो जैसे बिन मॉगे मुराद मिल गई हो। सपा के एक सांसद पूछते है कि ‘स्वाति सिंह एक मंत्री है उन्हे बताना होगा कि उनके पास यूँ अनाप शनाप फेकने के लिए पैसे कहॉ से आए?’ हमें यानि मीडिया को बिल्कुल नही लगता कि गेरूआ वस्त्रधारी योगी जी को स्वाति मैम का यह इमेज कनेक्शन प्लान समझ में आने वाला है। मतलब यह कि जनता और भेड़ियों को योगी और सिंह मैम को एक साथ एक ही मंच पर देखना आने वाले समय में नही होने वाला।
वैसे मेरे दिमाग में अभी-अभी एक सवाल बिजली की तरह कौंधा है वो यह कि क्या कोई किताब जिसका टाइटिल ‘कैसे पचड़ों से बचा जाए: फॉर न्यु मंत्रीज़्’ मार्केट में है क्या? यदि किसी को पता हो मैम को जानकारी उपलब्ध करा दें, दुआएं मिलेगीं वो भी सौ की नोट के साथ।
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