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पत्रकारों को गुमराह कर रही पलिया पुलिस,

 

फारुख हुसैन//लखीमपुर खीरी
पलिया कलां = जिस तरह से बब्बर खालसा से जुड़े दो आतंकवादियों को जिले में होने की सूचना ने लोगों को शंशय में डाल दिया था और जल्द ही आतंकवादियों को जिले के मैलानी क्षेत्र से गिरफ्तार भी किया गया था जिसके कारण यह बात स्पष्ट हो गयी थी कि अब किसी भी तरह की वस्तुएँ या फिर कोई संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी क्षेत्रीय पुलिस को देना जरूरी हो गया है एक बात और भी है पलिया मैलानी सहित बहुत से इलाके बार्डर होने की वजह कुछ हद तक संवेदनसील ही हैं जहाँ पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है ,क्योंकि इधर कुछ दिनों पहले ही जिले के मैलानी क्षेत्र में आतंकवादियों की गिरफ्तारी इस बात का ठोस प्रमाण ही है कि बार्डर इलाकों पर अब किसी तरह की आपत्तिजनक गतिविधियों से इन्कार नहीं किया जा सकता जिसके कारण सतर्कता बरतना हमारे लिए कुछ ज्यादा ही जरूरी हो गया है और इधर पुलिस को भी सतर्कता बना ये रखना जरूरी है ।
परंतु यह बात शायद हमारे पलिया के क्षेत्रीय पुलिस पर लागु नही होती कि वह छोटी से छोटी संदिग्धता पर भी बराबर नजर बनाये रखे और उसकी अच्छी तरह से जांच पड़ताल भी करें ।
वह तो बस अपने बंदरबाट पर ही विश्वास रखती है कि कोई भी या फिर एक तरह से कहें किसी भी प्रकार की कोई सूचना में उनके लिये बस धनलोलुपता ही नजर आती है और एक बात यह भी है कि यदि किसी पत्रकार को भी किसी प्रकार की कोई जानकारी मिलती है यदि वह पलिया कोतवाल से जानकारी करने के लिए बात करता है तो वह उसे सिर्फ अफवाह का रूप ही बताया जाता है परंतु उसमें सच्चाई ही होती है जिसके कारण ऐसा लगता है कि वह पत्रकारों को गुमराह कर रहें हैं ।
जो कि बहुत ही सोचनीय विषय बन चुका है ।

खासकर एक बात और यह भी है कि जिस तरह से क्षेत्र में वाहन चोरी में बढ़ोत्तरी हुई है उसे देखकर यह भी लग रहा है कि यह वाहन चोरों को गिरोह भी क्षेत्र में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है और पुलिस के द्वारा वाहन चोरी पर सिंकजा न कसना भी किसी तरह की उनकी कार्य शैली पर सवालिया निशान खड़े कर रहें हैं सूत्रों की माने तो इसमें पुलिस की मिलीभगत ही नजर आ रही है या फिर इस तरह से कहें कि वाहन चोरों को भी पुलिस का शय बराबर मिलता दिखाई दे रहे हैं यह बात भी तब सामने आई जब एक मामला नगर का ही सामने आया ।
सूत्रों से मिली खूफिया जानकारी के अनुसार अभी पांच दिनों पहले तहसील के पलिया क्षेत्र के ही एक व्यापारी के गैराज पर खड़ी संदिग्ध महँगी कार को पलिया पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर बरामद की थी जिसमें पर वाहन पंजीकरण संख्या यू पी 78 सी0 बी0 0083 अंकित था और यह बात कुछ जानकारों से भी पता चली है कि कार के बरामद होने पर कार मालिक को पूरे अभिलेखो को मंगाने का प्रकरण पुलिस के द्वारा बताया गया था और फिर एक बड़े वाहन चोरों के गैंग के पर्दाफाश करने की बात भी कही गयी थी परंतु आज पाँच दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक कार मालिक नहीं आया है और साथ ही उक्त कार के पंजीकरण संख्या परिवहन विभाग की आनलाइन पंजीकरण सूची में मौजूद नहीं है जिसके कारण वरिवहन विभाग के अधिकारी भी इस कार को संदिग्ध बता रहे हैं ।
परंतु अब पलिया कोतवाली पुलिस पूरी तरह से वादा खिलाफी पर नजर आई उसने उक्त कार के सभी अभिलेखों और पंजिकरण को सही बताना शुरू कर दिया है । गौरतलब है कि आज पाँच दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक कार मालिक का न आना और पुलिस द्वारा बिना वरिवहन विभाग के सत्यापन करवाये बगैर उसे सही बताना और साथ ही  वह संदिग्ध कार कोतवाली परिसर में न जाकर दूसरी जगह भिजवाना पुलिस को भी संदिग्धता के घेरे में लाकर खड़ा कर रहा है और उनकी कार्य शैली पर भी सवालिया निशान लगा रहा है फिलहाल सूत्रो की माने तो कोतवाली के ही कुछ सिपाही उस मामले को गैराज मालिक से निपटाने में जुट गये हैं । जो कि एक बड़े सवाल की ओर पहल कर रहा है कि यदि पुलिस ही इस बात को गंभीरता पूर्वक नहीं लेगी तो आम आदमी क्या लेगा ।

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