दीपक बाजपेई
महोबा. आज के इस अर्थ युग में इंसानियत भी कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही है , बड़े बड़े ठेकेदार जिस मजदूर के पसीने से खुद लाखों करोड़ों कमाते हैं लेकिन जब उसकी जिंदगी पर आती है तो उसकी जान की परवाह छोड़ खुद को बचाने की जुगत में लग जाते हैं |
सूत्रों से मिली जानकर के अनुसार हादसे के बाद न तो पुलिस को सूचना दी गई और न ही 108 एम्बुलेंस बुलाई गई , अंधेर तो यह है जिला अस्पताल जाए बिना घायल को अस्पताल से रिफर कैसे कर दिया गया..? सूत्रों की मानें तो गुलाबी कागजों के दम पर ही यह सारा खेल किया गया, और सब कुछ होने के बाद ही पुलिस को जानकारी दी गई| वहीं दूसरी ओर पहाड़ मालिक व उसके गुर्गे जिंदगी और मौत से जूझ रहे मजदूर को हॉस्पिटल में छोड़कर वापस आ गए| शर्म की बात यह है कि कल तक जिस मजदूर के पसीने पर लाखों कमा रहे थे आज उसी मजदूर की कोई सुध लेने वाला भी नहीं है |
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