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ख़ाशुकजी हत्या कांड में बिन सलमान को बचाने के लिए ट्रम्प प्रशासन की कोशिशें मग़र मीडिया बख्शने के लिए तैयार नहीं

आफ़ताब फ़ारूक़ी

सऊदी अरब के वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या को एक महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन यह मुद्दा अब भी प्रचारिक और राजनैतिक गलियारों की बहस और चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस कारण यह है कि इस प्रकरण में बार बार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। आम धारणा यही है कि यह हत्या सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के आदेश पर हुई है क्योंकि हत्या में लिप्त तत्व वही हैं जो मुहम्मद बिन सलमान के बहुत क़रीबी माने जाते हैं और उनके आस पास ही दिखाई देते हैं। मगर दूसरी ओर सऊदी अरब की सरकार और अमरीका में ट्रम्प प्रशासन मुहम्मद बिन सलमान को बचाने की भरपूर कोशिश कर रहा है जबकि अमरीकी मीडिया और कुछ राजनैतिक गलियारे एसा लगता है कि यह संकल्प कर चुके हैं कि ख़ाशुक़जी की हत्या के ज़िम्मेदार मुहम्मद बिन सलमान को किसी भी हाल में बचने नहीं देना है।

तुर्की की सरकार ने भी इस पूरे प्रकरण में जो रणनीति अपनाई है उससे साफ़ ज़ाहिर है कि वह इस मामले में कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने अपने बयान में कहा कि ख़ाशुक़जी की हत्या का आदेश सऊदी अरब में शीर्ष नेतृत्व की ओर से जारी किया गया मगर सऊदी नरेश का इससे कोई संबंध नहीं है। इस तरह अर्दोग़ान ने साफ़ तौर पर मुहम्मद बिन सलमान की ओर इशारा किया है।

मुहम्मद बिन सलमान को बचाने की ट्रम्प सरकार की कोशिशों के बीच अब ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जान बोल्टन का बयान आया है कि इस्तांबूल में ख़ाशुक़जी की हत्या से संबंधित जो रिकार्डिंग तुर्क सरकार ने उपलब्ध कराई है उससे यह नहीं साबित होता कि इस हत्या में सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान लिप्त हैं। सिंगापुर में एक सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे जान बोल्टन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने ख़ुद तो यह रिकार्डिंग नहीं सुनी है मगर जिन लोगों ने सुनी है उनका कहना है कि इससे यह साबित नहीं होता कि ख़ाशुक़जी की हत्या में मुहम्मद बिन सलमान लिप्त हैं।

मगर न्यूयार्क टाइम्ज़ का कहना है कि इस रिकार्डिंग में एक व्यक्ति अपने चीफ़ को ब्रीफ़िंग देते हुए कह रहा है कि आप अपने चीफ़ को बता दीजिए कि हत्या का काम निपटा दिया गया है। न्यूयार्क टाइम्ज़ का कहना है कि यह एसा लगता है कि यह सूचना मुहम्मद बिन सलमान को दी जा रही है।

ट्रम्प प्रशासन ने मुहम्मद बिन सलमान को प्रयोग करके सऊदी अरब से चार सौ अरब डालर से अधिक के सौदे किए हैं जबकि इस्राईल के पक्ष में डील आफ़ सेंचुरी नामक ख़तरनाक योजना को सफल बनाने के संबंध में भी मुहम्मद बिन सलमान से अमरीका और इस्राईल दोनों को भरपूर सहयोग की उम्मीद है। यही कारण है कि अमरीका और इस्राईल मुहम्मद बिन सलमान को बचाने की भरपूर कोशिश में लगे हुए हैं।

इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने यूरोपीय देशों को भी यह समझाने की भरपूर कोशिश की कि पत्रकार की हत्या का मामला तो भयावह है लेकिन मुहम्मद बिन सलमान और वर्तमान सरकार मध्यपूर्व की शांति व स्थिरता के लिए बहुत ज़रूरी है। यही बात अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प कहते हैं। उनका कहना है कि मध्यपूर्व में शांति व स्थिरता के लिए ज़रूरी है कि सऊदी अरब को कोई भी नुक़सान न पहुंचने पाए।

मगर अमरीकी मीडिया और कुछ राजनैतिक गलियारे किसी भी हाल में मुहम्मद बिन सलमान को बख़्शने के लिए तैयार नहीं हैं। इन गलियारों का मानना है कि मुहम्मद बिन सलमान ने अकेले अपने हाथ में बहुत अधिक शक्ति ले ली है अतः वह काफ़ी ख़तरनाक हो गए हैं।

मुहम्मद बिन सलमान को लेकर अमरीका के भीतर ट्रम्प सरकार के ख़िलाफ़ एक माहौल बन रहा है और टीकाकार यह मानते हैं कि बिन सलमान को बचाने की कोशिश में ट्रम्प ख़ुद को भी नुक़सान पहुंचा सकते हैं। अमरीकी अधिकारी इस समय यह कोशिश भी कर रहे हैं कि यमन युद्ध रोकने के मुद्दे पर बातचीत शुरू हो जाए और इस प्रक्रिया में मुहम्मद बिन सलमान की एक प्रभावी भूमिका ज़ाहिर की जाए ताकि पत्रकार की हत्या का मामला किसी तरह ठंडे बस्ते में चला जाए मगर मीडिया और राजनैतिक गलियारों के मूड को देखकर यह नहीं लगता कि कोई बड़ी कार्यवाही होने से पहले वह मुहम्मद बिन सलमान का पीछा छोड़ेंगे।

aftab farooqui

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