आफ़ताब फ़ारूक़ी
यमन की एक वेबसाइट ने रिपोर्ट दी है कि सऊदी व इमाराती सैनिक यमनी बलों के घेरे में आ गए हैं और युद्ध की समाप्ति अत्यंत निकट है।
नज्मुस्साक़िब नामक यमनी वेबसाइट ने “यमन के ख़िलाफ़ अतिक्रमण की अंतिम सांसें” शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट में लिखा है कि यमन में युद्ध के मोर्चों के तथ्यों के बारे में जो ठोस सूचनाएं हैं उनसे पता चलता है कि सऊदी अरब व संयुक्त अरब इमारात के अतिक्रमणकारी सैनिक और उनके पिट्ठू यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों के घेरे में आ गए हैं और युद्ध की समाप्ति अत्यंत निकट है। रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब व संयुक्त अरब इमारात के सैनिकों और उनके पिट्ठुओं को भारी क्षति उठानी पड़ी है और उन्हें एेसा पाठ मिला है जिसे वे भूल नहीं सकेंगे और आगामी पीढ़ियां कहेंगी कि यह वह युद्ध था जिसे उन्होंने ख़ुद चुना था और इसके लिए विभिन्न देशों से भाड़े के सैनिक जुटाए थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यद्यपि अलहुदैदा एक तटवर्ती और सपाट क्षेत्र है लेकिन यहां दुश्मनों को होने वाली जानी क्षति अन्य किसी भी मोर्चे से अधिक है। इस संबंध में बहुत से सवाल सामने आ रहे हैं जिनके जवाब रणक्षेत्र में ही मिल सकते हैं। बमबारी और हवाई हमले, शक्ति का एक मानक हैं लेकिन वे अकेले युद्ध को किसी परिणाम तक नहीं पहुंचा सकते। यमनी सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर यहया सरी ने एक वीडियो जारी करके अतिक्रमणकारियों की पराजय के संबंध में हर प्रकार की शंका को समाप्त कर दिया है। उन्होंने एक पत्रकार सम्मेलन में सभी मोर्चों पर दुश्मन के ठिकानों पर क़ब्ज़े की सूचना देते हुए बताया है कि केवल नवम्बर के आरंभिक 12 दिनों में ही अलहुदैदा में दुश्मन के 127 बक्तरबंद वाहनों और सात बुलडोज़रों को विभिन्न मोर्चों पर तबाह किया गया है। उन्होंने बताया कि दुश्मन के पिट्ठुओं के हथियारों के पांच गोदामों में आग लगा दी गई है और दुश्मन के साढ़े आठ सौ से अधिक सैनिकों को मार गिराया गया है जबकि दो हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।
यमनी सेना के प्रवक्ता ने देश के पश्चिमी तट पर युद्ध की वास्तविकता के बारे में आंकड़ों के साथ कुछ सूचनाएं दीं और बताया कि पश्चिमी तट के मोर्चे पर सऊदी गठजोड़ के1224 सैनिक और उनके पिट्ठू मारे जा चुके हैं जिनमें कई कमांडर भी हैं। इन सैनिकों में 33 सूडान के हैं। इस मोर्चे पर 133 सैन्य वाहन ध्वस्त किए जा चुके हैं। ब्रिगेडियर सरी ने बताया कि यमनी बलों ने दुश्मन के ख़िलाफ़ 35 से अधिक हमले किए हैं जिनमें मीज़ाइलों का भी इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार इन सूचनाओं से सिद्ध होता है कि सऊदी अरब व संयुक्त अरब इमारात के सैनिक बहुत बुरी स्थिति में हैं और निश्चेत रूप से वे मौत के घेरे में आ चुके हैं। अगर वे आगे बढ़ते हैं तो यह आत्महत्या के समान है और अगर पीछे हटते हैं तो अपने आपको यमनी बलों के हवाले करने पर विवश हैं। इनकी मौत के संबंध में केवल समय की बात बाक़ी है।
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