Categories: ReligionSpecial

योद्धाओं की मज़ार – केवल भारत ही नहीं नेपाल से भी जायरीन आते है आल्हा और उदल की दरगाह पर मन्नते मांगने

फारूख हुसैन

लखीमपुर खीरी/ आज हम आपको एक ऐसी मज़ार शरीफ से रूबरू करवाने जा रहें हैं जो किसी पीर फक़ीर की नहीं बल्कि एक ऐसे प्राचीन योद्धाओं की है जो आज भी उस मजार शरीफ पर अपनी शिनाख्त कायम किए हुए हैं। जिनके नाम पर वहां बहुत बड़ा मेला भी लगाया जाता है। जहां दूर दूर से लोग उस मेले में शऱीक होते हैं और उनकी बहादुरी के किस्से हमें आज भी इतिहास के पन्नों में मिलते हैं और यह योद्धा सबकी मदद भी करते हैं।

सबसे खास बात आप अगर सच्चे दिल से इनकी मज़ार शरीफ पर जिय़ारत करते हैं और अपने दिल में आप उनका एहतराम करते हैं तो आपकी वहां एक बार जाकर ही हर मन्नत पूरी हो जाती है। और हां आपको पहली बार वहां केवल जियारत कर फातेहा दिलवानी है न की आपको कोई लगरें आम करवाना है न आपको चादर चढ़वानी है बस आप दिल से कुछ मांग लीजिये और यदि आपकी मांगी हुई मन्नत पूरी हो जाये तो आप सबकुछ कर सकते हैं।

इन तथ्यों की जानकारी मिलने पर हमारे लखीमपुर खीरी के pnn24 news के नुमाइन्दे फारूख हुसैन ने मौके पर पहुंचकर जाय़जा लिया। आपको बता दें की यह मज़ार शऱीफ लखीमपुर खीरी के तहसील पलिया से लगभग बीस किलोमीटर दूर खैरीगड़ गांव से लगभग पांच किलोमीटर दुधवा टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में मौजूद है यह हमारें इतिहास के  वीर योद्धा आल्हा-ऊदल की मज़ार शऱीफ है। जिनकी मजारों को एक साथ ही बनाया गया है और,यह मज़ार काफी पुरानी है और लोगों का मानना है इस मज़ार के साथ साथ कुछ ही दूर जंगलों में इनका एक पुराना किला भी है जो खडहरों में तब्दील हो चुका है जो काफी ज्यादा गायब हो चुका है।

लोगों का मानना है कि आल्हा और ऊदल इन्ही जंगलों में शहीद हुए थे जिसके कारण इनकी मज़ारे यहां बनाई गयी हैं। इस मज़ार की सबसे खास बात यह है कि यहां आप पहली बार में जियारत कर केवल सच्चे दिल से मन्नतें मांगें और यह मन्नत आपकी जरूर पूरी हो जायेगी लेकिन यहां मन्नत मांगने का बहुत ही अलग तरीका है। आपको इस मजार शरीफ पर बने ताखों पर ईटें रखकर मन्नत मागना होता है और जब आपकी मन्नत पूरी हो जाती है तो आपको वापस आकर ताखें से ईट हटाने के बाद आप जियारत कर फातेहा दिलाकर या फिर वहां चादर चढ़ा दें या फिर लंगरेआम करवा दें।

इन योद्धाओं की बहादुरी के किस्सों और मन्नतों के पूरे होने की वजह से यहां बहुत बड़ा मेला भी लगाया जाता हो जो साल में एक बार लगता है और वो भी रात भर चलता है। इस मौके पर वहां तमाम तरह की दुकानें लगायी जाती है और वहां लंगरे आम भी किया जाता है। जिसको किले का मेला कहते हैं। इस मौके पर वहां तमाम तबके के लोग बहुत बहुत दूर से पहुंचते है। जिनमें हमारे पड़ोसी देश नेपाल भी शामिल है, जहां वो लोग मजार शरीफ पर जियारत कर अपनी मन्नते मागतें हैं।

सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि जो भी शख्स किसी भी मुसीबत में फंस जाता है तो वह बाकयदा लिखित में यानी की कापी के पेज पर लिखकर अर्जी भी लगाता है। जिससे की उसकी हर तरह से सुरक्षा हो सके। फिलहाल यह मज़ार शरीफ  घने जंगलों होने के बावजूद भी वहां कभी किसी तरह की घटना नहीं हुई।

pnn24.in

Recent Posts

जाने क्या है ‘इतेफादा’ का मायने जिसका प्रयोग इसराइल के खिलाफ हो रहे अमेरिका में प्रदर्शन के दरमियान पोस्टरों पर हो रहा है

शाहीन बनारसी डेस्क: अमेरिका के कुछ जानेमाने विश्वविद्यालयों में पिछले कुछ दिनों से ग़ज़ा को…

20 hours ago

गुना में बोले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ‘कांग्रेस देश में शरियत का कानून लाना चाहती है, भाजपा ऐसा नही होने देगी’

तारिक़ खान डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने कांग्रेस को पर्सनल…

20 hours ago

छेड़खानी का विरोध करने पर महिला की गोली मार कर हत्या, आरोपी ने घटना के पहले लगाया था पिस्टल के साथ अपना व्हाट्सएप स्टेटस

आदिल अहमद डेस्क: दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर…

20 hours ago