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वाराणसी – 8 महीने से खुलासे के इंतज़ार में बब्लू सिंह हत्याकांड भाग (3) – कौन है गिरधारी ?

तारिक आज़मी

वाराणसी। बबलू सिंह हत्याकांड के लगभग 8 महीने बाद गिरधारी पर इनाम घोषित हो चूका है। गिरधारी के अपराधिक इतिहास को देखे तो शुरू के अपराधिक घटनाओं के बाद कभी इसको पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। हमेशा इसके ऊपर इनाम घोषित होने के बाद यह किसी न किसी तरीके से अदालत में सरेंडर कर देता है। पिछली बार भी गिरधारी ने अदालत में सरेंडर किया था। सूत्र बताते है कि सरेंडर के पहले गिरधारी नकाब पहन कर पुलिस को चकमा देता हुआ सरेंडर कर गया था। जबकि पुलिस ने कोर्ट परिसर के आस पास पूरा जाल बिछा रखा था। मगर इस जाल को तोड़ कर गिरधारी अदालत में सरेंडर कर गया था।

राजनैतिक पारी शुरू होने के पहले ही हुई थी खत्म

सफेदपोशो की सरपरस्ती मिलने के बाद गिरधारी ने बनारस से अपने परिवार को हटाना बेहतर समझा था। इसकी खातिर गिरधारी ने मुहमदाबाद गोहाना के भीदड में एक ज़मीन अपनी माँ के नाम से खरीदी। इसके बाद वह अपनी माँ के नाम पर राजनैतिक पारी शुरू करना चाहता था। मगर ऐसा हो नहीं पाया। खुद की माँ को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वाने की चाहत इसकी धरी रह गई और नामांकन निरस्त हो गया। इसके बाद से इसने राजनैतिक पारी खेलने के बजाये एक एक टीम प्लेयर के तौर पर ही अपना रुतबा बना लिया।

सूत्र बताते है कि इसको बड़ा राजनैतिक संरक्षण हासिल है। इसी संरक्षण के कारण इसकी अच्छी पैठ बनी हुई है। प्रशासिनक किसी भी आदेश की इसको जानकारी जल्द ही मिल जाती है। नेटवर्क काफी तगड़ा रखने वाला गिरधारी ज़मीन का भी कारोबार करता है और विवादित ज़मीनों को बिकवाने का भी कारोबार करता है। इसका नेटवर्क दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जो पुलिस के लिए एक सरदर्द बना हुआ है। पुलिस अपना पूरा प्रयास करती है, मगर रेत की तरह ये हाथो से फिसल जाता है।

कैसा है अपराध करने का तरीका

हर एक अपराधी का अपराध करने का तरीका अलग अलग होता है। उदहारण के तौर पर अगर बताये तो काफी पूर्वांचल में अपराध और खौफ का पर्याय बने अन्नू त्रिपाठी गैंग सीधे माथे पर नज़दीक से गोली मारता था। वही रईस बनारसी हत्या करने के बाद पैर की ठोकर से मृतक की लाश को मारता था। इसी प्रकार मोनू पहाड़ी गैंग दिनदहाड़े घटनाओं को अंजाम देता था। इसी प्रकार से गिरधारी का अपराध करने का अलग तरीका है। गिरधारी हमेशा एक दो नही कई राउंड गोलिया चलाता है। अपराध को अंजाम देने के बाद ये भागता नही है बल्कि आराम से टहलता हुआ जाता है। इसको भले आम बोल चाल की भाषा में दुस्साहस की संज्ञा दिया जाए, मगर ये डरता नही है।

पकड़ा गया गिरधारी तो हो सकते है कई सफेदपोश बेनकाब

गिरधारी को पकड़ने के लिए वाराणसी ही नहीं बल्कि पुरे पूर्वांचल की पुलिस टीम काम पर लगी है। अगर गिरधारी पकड़ में आता है तो कई सफेदपोश बेनकाब होने की पूरी उम्मीद है। पुलिस अपने इस प्रयास में अभी तक सफल तो नही हो पाई है। एक बार फिर से पुलिस का प्रयास जारी है। वही इसको गिरफ़्तार करने के लिए एक बार भारत भूषण ने अपने टीम के साथ इसको घेरने की कोशिश किया था। इसका काफी करीबी निशाने पर था। छापेमारी भी हुई मगर मात्र दस मिनट के फासले से ये फरार होने में कामयाब हुआ। इसके अलावा शिवपुर थाना प्रभारी ने भी इसके ऊपर अपने जाल बिछाये थे। मगर जाल में गिरधारी की जगह उसका भाई आ गया। गिरधारी के भाई पर कोई मामला बनता नही था तो एक बार फिर से पुलिस का हाथ खाली का खाली रहा।

वही अब सूत्र बताते है कि खुद को अंडरग्राउंड किये गिरधारी कभी भी अदालत में सरेंडर कर सकता है। सूत्रों के अनुसार गिरधारी बनारस के ही किसी गली के अन्दर छिप कर बैठा है और किसी सफ़ेदपोश के संरक्षण में रहकर खुद को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहा है। वही दूसरी तरफ शिवपुर पुलिस अपनी कोशिश में है कि इसको धर दबोचे और सफ़ेदपोशो का खुलासा करे, दूसरी तरफ लंका इस्पेक्टर भारत भूषण भी अपना नेटवर्क अलर्ट मोड़ पर रखे हुवे है और इसको दबोचना चाहते है। वही भेलूपुर थाना प्रभारी अपने आईसी दुर्गाकुण्ड प्रकाश सिंह के साथ अपना नेटवर्क फैलाये हुवे है। सभी चाहते है कि ये गिरफ्तार हो और कई बड़े खुलासे हो सके। जबकि सफेदपोशो की कोशिश है कि गिरधारी को सरेंडर करवा कर मामला ठंडा होने पर ज़मानत करवा ले।

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