आदिल अहमद
नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा पर तनाव के बीच एक बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक चीन ने 2017 के दोकलम में हुए गतिरोध के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपने हवाई अड्डों, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलिपोर्ट्स की संख्या को दोगुना से ज्यादा बढ़ोतरी कर दिया है, ये सैन्य बढ़ोतरी भविष्य में भारत के साथ सीमा विवादों में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के उसके इरादे का संकेत दे रही है। एक प्रमुख वैश्विक भू-राजनीतिक इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म ने अपनी एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “गौर करने वाली बात है कि चीन की ओर से अपने सैन्य बुनियादी ढांचे में किया जा रहे उन्नयन (अपग्रेडेशन) को पूरा होने में अभी काफी समय है। ज्यादातर मामलों में सैन्य बुनियादी ढांचों के विस्तार और निर्माण का काम अभी चल रहा है। भारत की सीमा पर हम आज जो चीनी सैन्य गतिविधि देख रहे हैं वो सिर्फ एक दीर्घकालिक उद्देश्य की शुरुआत है।”
इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन का भारतीय सीमा पर सैन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने से क्षेत्रीय विवादों के लिए बीजिंग के दृष्टिकोण में बदलाव का पता चलता है। एक बार इन बुनियादी ढांचों के पूरा हो जाने पर चीन को इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, “2017 के दोकलम गतिरोध ने चीन के रणनीतिक उद्देश्यों को बदल दिया है, और चीन ने पिछले तीन वर्षों में भारतीय सीमा के पास अपने हवाई अड्डों, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलिपोर्ट्स की कुल संख्या को दोगुना से अधिक किया है।”
साथ ही इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन भारतीय सीमा के नजदीक कम से कम 13 नई सैन्य पोजिशन का निर्माण कर रहा है। इसमें 3 एयर बेस, 5 स्थायी एयर डिफेंस पोजिशन और 5 हेलीपोर्ट्स शामिल हैं। हेलीपोर्ट हेलीकॉप्टर के उड़ान या उतरने के लिए तैयार किए जाना वाले स्थान को कहते हैं। इसमें कहा गया है कि इन नए हेलीपोर्ट्स में चार का निर्माण मई में लद्दाख गतिरोध के बाद शुरू किया गया है। रिपोर्ट में ख़ास तौर पर इस बात को रेखांकित करती है कि भारत की सीमा के नजदीक चीन का सैन्य निर्माण उसकी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। जैसे चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूर्ण विकसित एयरबेसों और नौसेना सुविधाएं विकसित की हैं। एशिया पैसिफिक के कई देशों ने चीन के इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया है कि यह इलाका उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।
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