तारिक आज़मी की मोरबतियाँ, आदिल अहमद के इनपुट के साथ
कानपुर। वह मासूम थी। उसको क्या पता था कि जिसको वह भाई कहती है वह असल में भाई नहीं एक ऐसा इंसान है जिसकी हरकते देख कर राक्षस वंश भी शर्मसार हो जायेगा। वो इतनी मासूम थी कि जिसकी गोद में वह खेलती थी, उसके मंसूबो को वह नही समझ पाई। वो भाई के भेष में एक राक्षस था। उसने कहा आओ चलो कुरकुरे दिलवाता हु। वो मासूम अपने उस भाई के साथ चली गई। उसको क्या पता था कि ये राक्षस हैवानियत की सभी हदे पार कर जायेगा। उसने ऐसा ही किया।
घटना कामपुर के घाटमपुर स्थित भदरस ग्राम की है। जहा एक मासूम की हत्या उस शख्स ने कर दिया जिसको वह भाई कहकर बुलाती थी। उस भाई के रूप में हैवान ने उस मासूम के साथ कुकर्म किया। फिर उसका सीना चीर कर उसका कलेजा निकाला और पका कर अपनी पत्नी के साथ खाया। उसको लालच थी कि ये एक तंत्र क्रिया है जिससे उसको औलाद पैदा होगी। ग्रामीणों की मानें तो मासूम का कलेजा खाने वाला दंपति गांव में सबसे मिलजुल कर रहता था। लेकिन बच्चे की चाहत में तंत्रमंत्र में पड़कर नरभक्षी बन गया।
कल मंगलवार को घर के बाहर महिलाओं के घेरे के बीच मासूम बेटी की मां बैठी थी। रो-रोकर उसकी आंखों के आंसू सूख चुके हैं। आँखे सूज गई थी। आंसू भी अब निकलने से मना कर रहे थे। उस माँ को तो अभी भी विश्वास हो पा रहा था कि बेटी को बहन मानने वाले पड़ोस के ही अंकुल व वीरन ऐसी दरिंदगी कर सकते हैं। लेकिन वह बेटी के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार है। उस माँ की यह स्थिति देख कर पुरे गाव की लगभग हर एक महिला की आँखे नम थी। हर एक परिवार में रोना हुआ था; पूरा गाव ही खाना तो शायद पकाया होगा मगर खाया किसी ने नही होगा। सबकी संतावना उस पीड़ित परिवार के साथ है। सभी नम आँखे लेकर परिजनों को तसल्ली दे रहे थे।
वही स्वर्ग से बैठी मासूम बेटी शायद परियो के बीच अटखेलिया भी नहीं कर पा रही होगी। उसको ये नहीं समझ आ रहा होगा कि आखिर जिसको वह भाई कहती थी वह उसका दिल और फेफड़े कैसे खा सकता है। शायद उस मासूम की रूह स्वर्ग में बैठ कर अपने मुल्क की निर्भया, हाथरस की बेटी, तो कभी काश्मीर की बेटी से सवाल पूछ रही होगी कि दीदी ये राक्षस है या इंसान। वह मासूम अपने उस पिता को स्वर्ग से देख कर और भी उदास हो जा रही होगी जिसके घर आने पर वह चहक कर उसके पास जाती थी। पिता अपने जेब से एक दो टाफी उसको देते थे तो वह गुमक कर अपने बाप की गोद में बैठ जाती थी। अपने उस पिता के थके रहने पर उनके पास बैठ कर उसने खेलती थी।
उस मासूम की रूह स्वर्ग में बैठ कर अपने उस पिता को सदमे में देख कर सोचती होगी और आसपास बैठी देश की अन्य बेटियों से पूछती होगी कि “दीदी मेरे पापा को कैसे सदमे से बाहर उबारा जा सकता है ? उस मासूम के पिता तो अभी भी सदमे से उबर नहीं पाए है। वह पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई से तो संतुष्ट हैं, मगर इसके साथ ही उनका कहना है कि बच्ची की हत्या के बाद भी उसके अन्य अंगों का पुलिस अब तक पता नहीं लगा पाई है। उन्होंने पुलिस पर मनमानी करने का भी आरोप लगाया है। घटना की तह तक पहुंचने व दोषियों को सजा देने के लिए उसने सरकार से सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की है। कहा कि जिससे कोई निर्दोष न फंसने पाए। उन्हें पुलिस प्रशासन पर न्याय दिलाने का पूरा भरोसा है।
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