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आपसी प्रेम, भाईचारा और सौहार्द्र की गौरवशाली परम्परा का देश है भारत : डॉ मोहम्मद आरिफ

ए जावेद

वाराणसी। सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के तत्वावधान में  भंदहा कला गाँव में आयोजित दो दिवसीय जन अधिकार कार्यशाला का समापन रविवार को हुआ। समापन सत्र में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायती चुनाव, तीन कृषि कानूनों,  खाद्य  सुरक्षा कानून और समाज में बढ़ते वैमनस्य एवं नफरत के माहौल के दृष्टिगत चर्चा हुयी। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि हमारा संविधान हमे समानता के साथ जीने का अधिकार देता है और अनेक जन अधिकार ऐसे हैं जिन्हें जनता को अपनी बेहतरी के लिए प्रयोग करना चाहिए।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी विचारक डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा कि  भारत आपसी प्रेम, भाईचारा और सौहार्द्र की गौरवशाली परम्परा का देश है दुर्भाग्य से कुछ मुट्ठी भर लोग इस विरासत को नकारने पर जुटे हुए है।ये कौन लोग है जो हमारी इस पवित्र विरासत के दुश्मन बने हुए हैं। यह इतिहास का साधारण प्रश्न नही बल्कि हमारे अस्तित्व का प्रश्न है। हमें इन्हें पहचानना होगा। यदि इस मिली-जुली सह अस्तित्व की भावना,जो हमारी राष्ट्रीय धरोहर है, को बचाये रखना है तो ऐसी ताकतों से न केवल होशियार रहना होगा बल्कि इनके खिलाफ लामबंद भी होना होगा।

किसान नेता राम जनम भाई ने कहा कि आज खेती किसानी घाटे  के दौर में है ऐसे में स्वामीनाथन आयोग की संस्तुतियों को लागू होना आवश्यक है। किसानो की बेहतरी के लिए उनकी उपज का समर्थन मूल्य मिल पाना सुनिश्चित करना होगा। आगामी पंचायती चुनावों के बारे में आगाह करते हुए कार्यक्रम संयोजक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा इन चुनावों में युवा अपनी भूमिका को समझें और योग्यतम प्रत्याशियों का चयन करें तभी हम अपने गाँव को आदर्श बना सकेंगे।

अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने कहा कि जन अधिकारों के प्रति सचेत रह कर ही हम मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे, हमे इन अधिकारों का व्यापक जन हित में प्रचार प्रसार करना चाहिए। संचालन कर रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता अरविन्द मूर्ति ने कहा कि असंगठित खेत्र अथवा भवन निर्माण में लगे मजदूरो, खेती किसानी  के कार्य में लगे भूमिहीन किसान व खेतिहर मजदूरों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अति आवश्यक है वर्तमान दौर में कार्पोरेट घरानों के दबाव में इस व्यवस्था पर अस्तित्व का संकट आसन्न है, हमे इसे मजबूत करने के लिए तत्पर होना होगा।

कार्यशाला को कमलेश यादव, धनञ्जय त्रिपाठी, दिवाकर सिंह, दीन दयाल सिंह, उर्मिला विश्वकर्मा, हौशिला यादव, अजय पटेल, विनय सिंह, रमेश कुमार, राम बचन, राम किशोर चौहान, सीमा देवी आदि ने भी समोब्धित किया।

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