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किस्सा गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान – जिससे सालो नहीं एक दशक से क्षेत्र की जनता है परेशान, देखे साक्ष्य और जाने इस सटोरिया और अपराधी गैंग के सम्बन्ध में

तारिक़ आज़मी

वाराणसी के दालमंडी से संचालित गैंग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान के सम्बन्ध में हम लगातार नित नए नए खुलासे करते जा रहे है। एक बार फिर आपको बताते चले कि एक अपराधिक गैग के तरीके से संचालित इस सिंडिकेट में कई महिला भी है। हमने इसके पहले जितने भी खुलासे किये है उससे सम्बन्धित साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध है जो समय समय पर प्रकरण में जाँच कर रहे क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ को उपलब्ध करवाए जा रहे है। हम जो कुछ भी खुलासे करते जा रहे है उसमे हमारे पास साक्ष्य उपलब्ध है।

बहरहाल अब आते है मुद्दे की बात पर। पहले इस गैंग का मुख्य काम दालमंडी में सट्टा खिलावाना और पुलिस के नाम पर अवैध वसूली करना और एक महिला हिरोईन विक्रेता पारो के माध्यम से हिरोईन बिकवाना था। इस महिला हिरोईन सप्लायर पारो को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था और वह जेल भी गई थी। कई अन्य इसके साथी गिरफ़्तारी के बाद जेल गए और ये वर्षो नही बल्कि दशक से अधिक समय से चला आ रहा नशे का कारोबार बंद हो गया। इसके बाद पारो का देहांत भी हो गया और उसके लड़के अब कपडे तथा अन्य सामानों की फेरी करके इज्ज़त की ज़िन्दगी बसर कर रहे है।

क्षेत्र की आम जनता ने वर्ष 2016 के अक्टूबर में ये शिकायती प्रार्थना पत्र सामूहिक रूप से देकर एक दिन अपनी दुकाने बंद रख इस गैग का विरोध किया था।

इस सिंडिकेट का दूसरा मुख्य काम था सट्टा खेलवाना। काफी जुगाड़ से चल रहे सट्टा कारोबार पर लगाम सरकार बदल जाने के बाद लगी। खुद को बड़ा सपा नेता बताने वाले बादशाह अली और राशिद अली सत्ता में अपनी पार्टी की धौस दिखा कर कारोबार करते रहे और स्थानीय प्रशासन उस समय मौन बना रहा। इस दौरान क्षेत्रीय नागरिको ने कई लिखित शिकायत स्थानीय प्रशासन से किया और बताया कि बादशाह अली पटाखे की दूकान लगवा कर पुलिस के नाम पर वसूली भी करता है।

मगर शासन सत्ता की हनक दिखा कर खुद के ऊपर कोई कार्यवाही नही होने देता था। इस दरमियान वर्ष 2016 के अक्टूबर में स्थानीय दुकानदारों ने इसके खिलाफ लिखित शिकायत भी किया और दुकानों को बंद कर विरोध दर्ज करवाया। इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर चला पुलिस का चाबुक तो राशिद खान दुबक गया। बादशाह अली का पूरा कारोबार बंद हो गया। पुलिस ने भी तज लिया था कि किसी तरीके के अवैध काम को नहीं होने दिया जायेगा। आप खबर के साथ जो एक शिकायती प्रार्थना पत्र की प्रति देख रहे है वह वर्ष 2016 में स्थानीय जनता और कारोबारियों के द्वारा प्रशासन को दिली थी। क्षेत्र के पार्षद मो सलीम ने भी इसके खिलाफ खुल कर मोर्चा खोल दिया था। पत्र में साफ़ साफ़ पढ़ सकते है कि क्षेत्र की जनता ने स्पष्ट आरोप लगाते हुवे कहा है कि बादशाह अली और राशिद खान का गैंग पुलिस के नाम पर वसूली करता है। सट्टा का कारोबार करता है। आपत्ति करने पर महिलाओं को आगे करके शर्मसार कर देने वाला आरोप लगाने लगता था।

इसके बाद हुवे सत्ता परिवर्तन ने इस गैग को भी परिवर्तित कर डाला। क्षेत्र के पार्षद का क्षेत्र में सफाई अभियान रंग लाया और सट्टा तथा अवैध वसूली का कारोबार बंद हुआ। पुलिस के चाबुक से परेशान राशिद ने खुद की शरणस्थलीय पड़ाव चौराहे के बाद जनपद चंदौली में बना डाला। दालमंडी में देखने के लिए एक छोटी सी चप्पल की दूकान खोल लिया और कारोबार कही अन्यंत्र शिफ्ट कर दिया। यहाँ सूत्र के हवाले से जानकारी है कि लक इंडिया नाम से लाटरी चौरहट, पड़ाव इत्यादि क्षेत्र में ये अपने गुर्गो के माध्यम से खेलवा रहा है। देखने के लिए इसने मोज़े का ठेला लगा रखा है।

वही दूसरी तरफ इस गैंग के कारोबार को कुछ नया मोड़ देते हुवे एक सिंडिकेट बनाया जो झूठे रेप, पाक्सो और अन्य महिलाओं से सम्बन्धित मुक़दमे दर्ज करवा देता है। इसके बाद मामले में सुलह समझौते के नाम पर मोटी रकम लिया जाता है। इसका एक बड़ा उदाहरण झारखण्ड के दरभंगा में दर्ज भाजपा नेता के खिलाफ रेप का मामल है जो अदालत में फाइनल स्टेज पर है और मामले में जानकारी के अनुसार सुलह हो रही है। वही आदमपुर थाना क्षेत्र में दर्ज अपराध संख्या 66/19 है जो पाक्सो, रेप आदि के आरोपों में दर्ज हुआ। ताज़ा जानकारी के अनुसार इस मामले में हमारे हाथ पुख्ता सबूत प्रकारण के झूठा होने और इस गैंग के षड़यंत्र का होने की जानकारी इस गैंग को मिलने के बाद इस गैंग ने वादिनी से कहकर केस वापस ले लिया है।

एक और उदाहरण इस गैंग का है जो दर्जन से अधिक शिकायती प्रार्थना पत्र देकर एक व्यक्ति संजय सहगल उर्फ़ बब्बल के खिलाफ एक महिला द्वारा रेप का आरोप दशाश्वमेघ थाने पर लगाया जा रहा है। नित नए नए रूप में ये शिकायत आ रही है और आरोपी इसमें बढ़ते जा रहे है। पहले संजय सहगल एक मात्र आरोपी था। अब उसमे धमकी की बाते जोड़ते हुवे क्षेत्र के पार्षद मो सलीम, पत्रकार तारिक आज़मी और हद तो तब ख़त्म है जब एक दरोगा को भी इसी श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। बेचारे दरोगा जी भी परेशान है कि मैंने क्या किया जो मेरा नाम जोड़ा जा रहा है। जबकि प्रकरण में मुकदमा दर्ज करने के लिए वकील साहब के माध्यम से इस महिला ने 156(3) में मुकदमा भी दर्ज कर रखा है। मगर इस गैंग को अदालत पर भी विश्वास नही है और अदालत में विचाराधीन मामले को भी कथित मीडिया कर्मियों के माध्यम से फुटेज बटोर रही है।

दुसरे तरफ खुद के ऊपर झूठे आरोपों की जानकरी मिलने के बाद पत्रकार तारिक आज़मी और पार्षद मोहम्मद सलीम ने इस सम्बन्ध में क्षेत्राधिकारी से शिकायत कर मामले में मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध किया जिसमे विवेचना प्रचलित है। पीडिता को बार बार बुलवाया जा रहा है मगर पीडिता और उसके संरक्षक आ ही नहीं रहे है। इसी के साथ एक कथित पत्रकार को अपना बयान देते हुवे कई मानहानि कारित आरोप लगाने वाले राशिद खान के खिलाफ हमारे चैनल के द्वारा मानहानि की नोटिस उस वीडियो में दिखाई दे रहे कथित मीडिया हाउसेस के पंजीकृत कार्यालय तथा राशिद खान को भेजी जा चुकी है। नोटिस पीरियड ख़त्म होने के बाद एक बड़ी मानहानि का मुकदमा माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल होगा। जुड़े रहे हमारे साथ हम करते रहेगे इस गैंग के कारनामो का तब तक खुलासा जब तक दालमंडी की गंदगी साफ़ नही हो जाती। वैसे हमको मालूम है कि गन्दगी साफ़ करने में हमारे ऊपर ही कीचड़ उछलेगा। मगर समाज के हित हेतु ऐसे गैंग का खुलासा अति आवश्यक है।

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