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दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज के अथक प्रयास के बाद मिला इंजेक्शन, एक सप्ताह बाद होश में आकर खोली मरीज़ ने आखे तो परिजनों ने भीगी पलकों से कहा “थैंक यु वाराणसी पुलिस”

ए0 जावेद

वाराणसी। वाराणसी के दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह ने आज इन्सानियत की एक और मिसाल कायम कर साबित किया है कि कड़क वर्दी के पीछे एक इन्सानियत के नर्म मुलायम दिल वाला इंसान भी रहता है। जो हमारे सुख – दुःख में हमारे साथ खड़ा रहता है। इन्सान की जान बचाने के लिए पसीने बहा डालता है। किसी मरीज़ को अगर दवा नही मिल रही है तो उसके लिए वह दौड़ भाग भी कर सकता है।

हुवा कुछ इस प्रकार की बक्सर निवासिनी एक मरीज़ वाराणसी प्रवास के दौरान कोरोना संक्रमित हो गई थी। इस दरमियान उसको परिजनों ने एक निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाया था। इसी दरमियान उस मरीज़ की माँ एक सडक दुर्घटना में बुरी तरह घायल होकर निजी चिकित्सालय में भर्ती है। कोरोना संक्रमित महिला के एक पुत्र और एक पुत्री है। दोनों ही किशोर आयु वर्ग के है। दोनों अपनी माँ की खिदमत पिछले एक माह से कर रहे है। कोरोना से रिकवर होने के बाद बिगड़ी सेहत ने उन्हें दुबारा अस्पताल का रुख करवाया। एक निजी चिकित्सालय में भर्ती मरीज़ की रिपोर्ट में जानकारी हुई कि उनको ब्लैक फंगस हो गया है। बहुत ही छोटी उम्र में पिता को खो चुके दोनों बच्चे माँ को नहीं खोना चाहते है। दोनों ने जी जान से उनकी खिदमत कर रहे है। इस दरमियान मरीज़ का दो आपरेशन हो चूका है। मगर सेहत में बहुत अधिक सुधार नही हुआ है। वही मरीज़ को चिकित्सको ने बलैक फंगस का एक इंजेक्शन लिखा जो मार्किट में कही मिल नही रहा था।

बात तीन रोज़ पहले मंगलवार के देर रात की है। देर रात मामूर के हिसाब से दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह गश्त कर रहे थे कि देखा एक किशोरी परेशान हाल में लंका रोड के तरफ से चली आ रही है। अकेली किशोरी को देख एसआई ने अपनी ड्यूटी निभाते हुवे उसको रोक कर उसकी परेशानी का सबब और इतनी देर रात अकेले कही जाने का कारण पूछा तो किशोरी फुट-फुट कर रोने लगी। किसी प्रकार सान्तवना देकर किशोरी को उन्होंने चुप करवाया। तब उसने बताया कि मेरी माँ काफी बीमार है। ये इंजेक्शन नही मिल रहा है। 6 इंजेक्शन चाहिये। हर एक दूकान तलाश लिया है कही मिल नही रहा है।

इंजेक्शन का प्रिस्केप्शन देख कर एसआई प्रकाश सिंह समझ चुके थे कि इंजेक्शन इतनी आसानी से मिलना मुश्किल है। उन्होंने किशोरी को पुरे सहयोग का आश्वासन देकर पूछा कि खाना खाया है कि नही। जिस पर किशोरी ने बताया कि माँ की ऐसी स्थिति है एक सप्ताह हुआ अभी तक होश में नही आई है। खाने का होश कहा है। यह सुनकर प्रकाश सिंह ने उसको अपनी रात के भोजन के लिए रखी टिफिन देकर खाना खिलाया और एक कांस्टेबल के साथ उस किशोरी को सुरक्षित हेरिटेज अस्पताल भेजा जहा उसकी माँ एडमिट थी। उस रात शायद एसआई प्रकाश सिंह को बिना खाये ही सोना पड़ा होगा या फिर स्नैक्स वगैरह खाकर शायद रात की भूख मिटानी पड़ी होगी। अपने हक़ की रोटी दुसरे को खिला कर उसका पेट भरने की जो ख़ुशी होती है वह लफ्जों में बयाँ नही किया जा सकता है।

इसके बाद से शुरू हुआ प्रकाश सिंह की मेहनत का दौर। प्रकाश सिंह ने बीएचयु स्टूडेंट वालेंटियर शिवम् झा से इसमें सहयोग करने हेतु कहा। शिवम् झा एक समाजसेवी युवक है। इसके बाद सभी प्रयासों के बाद प्रशासनिक स्तर समन्वय स्थापित कर काफी मेहनत और मशक्कत के बाद आज मरीज़ को दोपहर में इंजेक्शन उपलब्ध हुआ। निजी चिकित्सालय में इंजेक्शन लगने के बाद आज एक सप्ताह बाद उस महिला को होश आया है। माँ को होश में देख दोनों बच्चो की आँखों से जो अभी तक गम में आंसू निकल रहे थे वह ख़ुशी के आंसू में तब्दील हो गए।

मरीज़ के दोनों बच्चो और अन्य परिजनों ने वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए0 सतीश गणेश सहित वाराणसी पुलिस का धन्यवाद कहते हुवे कहा कि पुलिस को हमेशा हम सख्त छवि का अनुभव करते रहे है। हमारे दिल में उनके लिए जो छवि थी वह कठोर व्यक्तित्व वाली ही थी। मगर आज जिस प्रकार से एसआई प्रकाश सिंह और वाराणसी पुलिस का सहयोग मिला है उसकी तारीफ करने के लिए हमारे पास शब्द ही कम पड़ रहे है।

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