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वाराणसी – साहिल की हुई मृत्यु, लम्बे समय से चल रहा था बीमार, लीवर ट्यूमर का था मर्ज़

तारिक आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के चौहट्टा लाल खान निवासी महबूब आलम के बेटे साहिल का आज देहांत हो गया। साहिल लम्बे समय से लीवर ट्यूमर से पीड़ित था और ननिहाल में रहकर उसका इलाज चलता था। पिछले तीन माह से स्थिति गंभीर हो गई थी। आज भोर में आखिर उसने इस दर्द भरी ज़िन्दगी में आखरी सांस लिया और दुनिया को रुखसत कर गया। साहिल की मौत एक आम नागरिक की आम तरीके से बिमारी के द्वारा हुई मौत ही है। मगर ये समाचार का हिस्सा केवल इस कारण बन गई क्योकि साहिल 21 मई को हुवे चौहट्टे में दो पक्षों के विवाद में नामज़द आरोपी था।

वैसे सूत्रों की माने तो साहिल के सम्बन्ध में पुलिस को जानकारी थी और स्थानीय थाना प्रभारी सिद्धार्थ मिश्रा ने उसके इलाज हेतु उसके नाना से हर सम्भव मदद का भी आश्वासन दिया था। इस बात का ज़िक्र साहिल ने नाना ने खुद हमसे बात करते हुवे किया। इसको थाना प्रभारी सिद्धार्थ मिश्रा की मानवता ही कहेगे कि एक किशोर की ऐसी स्थिति जान कर उसको मदद का आश्वासन भी दिया और साथ ही इलाज हेतु बीएचयु के बेस्ट सर्जन से बात भी किया, जहा उसका इलाज चल रहा था। सर्जन से भी उन्होंने कहा था कि इलाज में किसी प्रकार की आवश्यकता होने पर वह बेझिझक उनसे बताये। ये सभी बाते स्वयं मृतक के नाना ने हमसे बातचीत में बताया है। साथ ही चिकित्सक ने भी इसकी पुष्टि किया है।

बहरहाल, आज साहिल के अंतिम संस्कार के पहले थोडा लोगो में रोष नज़र आया। आरोप प्रत्यारोप के लिए संसार में केवल पुलिस और पत्रकार ही दो टारगेट पर रहते है। सबसे सॉफ्ट टारगेट होता है आरोप लगाने का पुलिस और पत्रकार। मौके पर सुचना पाकर पहुचे इस्पेक्टर आदमपुर सिद्धार्थ मिश्रा ने मामले में लोगो से बात किया और प्रकरण के हर पहलु से निष्पक्ष जांच का दुबारा आश्वासन भी दिया। साथ ही उन्होंने नेतृत्व कर रही स्थानीय कांग्रेस नेता नीलम खान से उच्चाधिकारियों की फोन पर बात भी करवाया। अंतिम संस्कार फर्दुशहीद तकिया पर हुआ। साहिल का दाफीन हुआ। स्थिति न पहले अनियंत्रित थी और न ही अब है। फिर भी एक सेफ्टी परपज़ से मौके पर पुलिस बल की तैनाती किया गया है।

बताते चले कि 21 मई की शाम को दो पक्षों में बच्चो के मामले को लेकर विवाद हुआ था। विवाद में मारपीट और कथित रूप से पथराव की बात सामने आई थी। एक पक्ष के तरफ से तहरीर के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था जिसमे कुल 16 नामज़द आरोपी है। वही दुसरे पक्ष के तरफ से कोई शिकायत नही आई थी। एक मामले में कुल 7 लोगो की अब तक गिरफ़्तारी हो चुकी है। प्रकरण में विवेचना चल रही है। वही गिरफ्तार लोगो के ज़मानत की कार्यवाही वरिष्ठ क्रिमिनल लायर अनुज यादव के द्वारा देखा जा रहा है। सोमवार को इस मामले में बहस की तारीख अदालत में निश्चित है।

विवाद दो पक्ष का था। कुछ इंसानियत के ज्यादा बड़े वाले पुजारियों ने इसको सांप्रदायिक नाम देने का प्रयास किया। सुलभ शौचालय जैसी पत्रकारिता करने वाले कुछ तथा कथितो ने इसमें प्रयास सियासत के साथ किया। मगर सियासत और कथित रुपियो की मंशा धरी की धरी रह गई जब पुलिस ने मामले में उनकी चलने ही नही दिया। इलाका जैसे कल ठंडा था वैसे आज भी ठंडा है। इलाके में लोग जैसे पहले हंसी मजाक करके एक दुसरे के साथ रहते थे अभी भी रह रहे है। क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाने के लिए एसीपी प्रवीण सिंह, इस्पेक्टर सिद्धार्थ मिश्रा और क्षेत्रीय चौकी इंचार्ज कुवर अंशुमन सिंह ने बढ़िया प्रयास किया है और अभी भी प्रयास जारी है। ये बात भी हम नही कह रहे है बल्कि क्षेत्र में जितने लोगो से बातचीत हुई है सभी का कहना है। सभी के पास एसीपी प्रवीण सिंह, थाना प्रभारी निरीक्षक सिद्धार्थ मिश्रा और चौकी इंचार्ज कुवंर अंशुमन सिंह के लिए तारीफ के ही शब्द है। अब बात ये नहीं समझ आती है तो फिर आलोचना किसकी हो रही है।

इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द कितना है इसका उदाहरण इस इलाके में जाकर देखा जा सकता है। क्षेत्र में हर ख़ुशी और गम एक साथ मनाया जाता है। आज साहिल के मिटटी में मनोज जायसवाल, डॉ अरुण चौधरी, नरेश बाबु इत्यादि भी शामिल थे। कहा है फिर साम्प्रदायिकता जैसा शब्द। नासिर मिया की कामेडी शर्मा के लिए आज भी वैसे ही है जैसे कल थी। डॉ अरुण चौधरी की क्लिनिक पर आज भी पेशेंट्स की भीड़ है। फिर कहा है वो साम्प्रदायिकता जैसे शब्द। समझिये समाज हमारा आपका है। हम आप इस समाज के है। समाज के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी है। हमको समाज के लिए इस ज़िम्मेदारी को समझना भी चाहिये। उसका निर्वहन भी करना चाहिए। समाज के जागरूक नागरिक बने और अपने कर्तव्यो का निर्वाहन करे।

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