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मैनपुरी उपचुनाव: बसपा का वाकओवर है किसके लिए फायदेमंद? सपा क्या बचा पाएगी अपना यह अभेद किला या फिर भाजपा करेगी यहाँ अपना कब्ज़ा ?

मो0 कुमेल

डेस्क: सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा के सामने एक तरफ जहा विरासत बचाने की चुनौती है। वहीं भाजपा सपाई किले को आजमगढ़ की तरह ध्वस्त कर देना चाहती है। वही बसपा ने यहाँ से अपना प्रत्याशी न उतार कर मुकाबला आमने सामने कर कर दिया है। यहाँ अब मुकाबिला सपा और भाजपा का होगा। जिसमें सपा अपना किला बचाने के लिए संघर्ष करेगी तो वही भाजपा इस सीट को भी आजमगढ़ की तरह जीत कर यहाँ अपना परचम लहराना चाहेगी।

कल सोमवार को लखनऊ में जिलाध्यक्षों के साथ हुई बसपा सुप्रीमो की बैठक में मैनपुरी सीट से प्रत्याशी न उतारने के संकेत से चुनावी गणित गड़बड़ा गया है। उप चुनाव में बसपा प्रत्याशी के न उतारे जाने के संकेत से बसपा का परंपरागत वोटर अन्य किसी भी दल को मतदान के लिए स्वतंत्र है। लेकिन सियासी जानकार मनाते है कि ऐसे में बसपा के परंपरागत वोटर का झुकाव बसपा प्रत्याशी न होने के चलते भाजपा की तरफ होने की अधिक संभावना है। इससे सपा को झटका लग सकता है।

 जिले में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के सामने बीते कई चुनावों से प्रत्याशी नहीं उतार रही है। आखिरी बार 2004 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा था। ऐसे में कांग्रेस इस बार उप चुनाव में प्रत्याशी उतारती है या नहीं ये बाद में ही पता चलेगा। अब तक पार्टी की ओर से प्रत्याशी को लेकर कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की है।

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