तारिक खान
नई दिल्ली: कल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं को नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह नोटिश एक हाई कोर्ट के न्यायधीश को कथित तौर पर बदनाम करने के मामले में भेजा है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुवे कहा है कि अदालतों को बदनाम करने की ‘प्रवृत्ति’ बढ़ रही है। दोनों अधिवक्ताओं सहित अन्य को अदालत के अवमानना की नोटिस जारी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अदालतों को बदनाम करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।’ कहा कि कोई न्यायाधीश ‘गलती से परे” नहीं है और संभव है कि उन्होंने गलत आदेश पारित किया हो, जिसे बाद में रद्द किया जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश को बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
वकील ने कहा कि वह 35 साल से वकालत कर रहे हैं और आग्रह किया, ‘कृपया, मेरा भविष्य बर्बाद न करें।’ इस पर पीठ ने वकील से यह कहते हुए हलफनामा दायर करने को कहा कि अदालत ने अवमानना नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘आप जो मर्जी कहकर बच नहीं सकते हैं।’ पीठ ने कहा कि एओआर सिर्फ याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं है। पीठ ने कहा, ‘क्या हम केवल दस्तखत करने के लिए एओआर बना रहे हैं? उन्हें यह स्पष्ट करना होगा।’ पीठ ने जोड़ा, ‘किसी जज ने गलत आदेश पारित किया हो सकता है। हम इसे अलग रख सकते हैं। एक न्यायाधीश की राय उसका विचार है। हम चूक से परे नहीं हैं। हम भी गलतियां कर सकते हैं।’ जब वकील ने आग्रह किया कि उन्हें याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी जाए, तो पीठ ने कहा कि जब तक हलफनामा दायर नहीं किया जाता है, तब तक वह इसकी अनुमति नहीं देगी। शीर्ष अदालत ने मामले को दिसंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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