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हिमांचल विधानसभा चुनावो में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह जनपद में भी भाजपा को करना पड़ा बुरी तरह हार का सामना

तारिक़ खान

हिमाचल प्रदेश की हार के बीच भाजपा के लिए एक बड़ा झटका यह रहा कि पार्टी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पैतृक जिले हमीरपुर की पांच में से एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी। अनुराग के पिता और दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया था और शायद यह बात उनके समर्थकों को नागवार गुजरी। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, चुनाव के लिए हिमाचल में काफी समय बिता चुके अनुराग ठाकुर के जिले की किसी सीट पर भी भाजपा नही जीत पाई है।

अपने प्रचार अभियान में ठाकुर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की वन रैंक वन पेंशन योजना, सेना के लिए बुलेट-प्रूफ जैकेट के स्वदेशी निर्माण, रफाल विमान के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जैसे मुद्दों पर बात की थी, लेकिन चुनावी नतीजे दिखाते हैं कि मतदाता इससे प्रभावित नहीं हुए। जबकि मतदाता शायद कांग्रेस के पुरानी पेंशन स्कीम दुबारा लागू करने के वायदे से खासे प्रभावित हुवे है।

हमीपुर की पांच विधानसभा सीटों में से एक सुजानपुर पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक राजिंदर सिंह ने 399 मतों से जीत दर्ज की है। कांग्रेस के सुरेश कुमार ने 60 मतों के मामूली अंतर से भोरंज सीट जीती, जिसमें धूमल का पैतृक गांव समीरपुर पड़ता। नादौन में कांग्रेस के उम्मीदवार और उसके प्रमुख सीएम दावेदारों में से एक सुखविंदर सुक्खू जीते हैं। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवार पुष्पिंदर वर्मा और कांग्रेस के बागी आशीष शर्मा, जिन्होंने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ा था, के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ, जिसमें शर्मा 12,899 मतों से जीते। बड़सर सीट  पर जिले में सबसे अधिक जीत का अंतर देखा गया, जहां कांग्रेस के इंदर दत्त लखनपाल ने 13,792 मतों से जीत हासिल की।

इसी तरह, अनुराग ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में कुल  17 विधानसभा सीट हैं। इनमें से कांग्रेस ने 10 पर जीत हासिल की है, दो पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। भाजपा को केवल 5 सीट मिली हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में ६८ सदस्यीय विधानसभा में 40 सीट जीतकर 43।90 फीसद वोट हासिल किया है। पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 43 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद भाजपा केवल 25 सीट जीतने में सफल रही। विधानसभा चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए।

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