शाहीन बनारसी
कश्मीरी और मज़हबी घराने से ताल्लुक रखने वाले मोमिन खा मोमिन की पैदाइश दिल्ली के कूचा चेलान में 1801 ई0 में हुई थी। मोमिन खा मोमिन को फ़ारसी में महारत हासिल थी। मोमिन खा की दिलचस्पी शतरंज में बहुत थी। वह शतरंज के बेजोड़ खिलाड़ी थे। जवानी में कदम रखते ही मोमिन ने शायरी शुरू कर दिया था। मुहब्बत ज़िंदगी का तक़ाज़ा बन कर बार-बार इनके दिलोदिमाग़ पर छाती रही। इनकी शायरी पढ़ कर महसूस होता है कि शायर किसी ख़्याली नहीं बल्कि एक जीती-जागती महबूबा के इश्क़ में गिरफ़्तार है।
मोमिन के एक शेर पर उर्दू अदब के मशहूर शायर मिर्ज़ा असदुल्लाह खा ग़ालिब खुद कुर्बान हो गये थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालिब ने इनके शेर “तुम मेरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नही होता” पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी। मोमिन खा मोमिन कश्मीरी ख़ूबसूरती की मुकम्मल शख़्सियत थे। आइये पढ़ते है मोमिन के कुछ चुनिन्दा अश’आर
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