आदिल अहमद
हिमांचल में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। चुनावी रण में किस्मत आजमा रहीं 24 में से केवल एक ही महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हुईं। इस हिसाब से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में इस बार सिर्फ एक महिला विधायक 34 लाख से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेगी।
साल 2017 में। चार महिला उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही थीं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री और कांगड़ा के शाहपुर से चार बार विधायक रहीं सरवीन चौधरी। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और डलहौजी से छह बार की विधायक आशा कुमारी। इंदौरा से भाजपा विधायक रीता धीमान। मंडी से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर चुनाव हार गई हैं। इनमे आशा कुमारी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थीं। यहाँ सबसे बड़ी बात ये है कि राज्य के कुल मतदाताओं में करीब 49 फीसदी महिलाएं हैं।
मीडिया रिपोर्ट और आकड़ो को ध्यान से देखे तो दिलचस्प बात यह है कि 1998 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक रहा है और यह प्रवृत्ति पिछले पांच चुनावों में भी जारी रही है। महिला और पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 1998 में 72.2 और 71.23 प्रतिशत। 2003 में 75.92 और 73.14 प्रतिशत। 2007 में 74.10 और 68.36 प्रतिशत। 2012 में 76.20 और 69.39 प्रतिशत और 2017 में 77.98 और 70.58 प्रतिशत था। इस बार हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत 76.8 फीसदी रहा। जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 72.4 फीसदी था। महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं को 82,301 से पीछे छोड़ दिया।
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