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तुर्की-सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में मृतको की संख्या हुई 28 हज़ार से ज्यादा, हर ओर तबाही का मंजर, अपनों को मलबे के नीचे तलाश रहे लोग, मलबे में जिंदा मिला 10 दिन का नवजात, जर्मनी ने भी बढ़ाया मदद को हाथ

आदिल अहमद

डेस्क: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप को कई दिन हो चुके हैं, लेकिन यहां मलबे के नीचे से लाशों के निकलने का सिलसिला अभी भी जारी है। बताते चले कि सोमवार को तुर्की और पड़ोसी देशों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। सोमवार को तुर्की में आये 7.8 तीव्रता के भूकंप से हाहाकार मच गया। तुर्की में आये भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। हर ओर लाशें बिछी हुई है। भूकंप के तांडव के ज़द में कई जाने जा चुकी है। भूकंप का तांडव हर और नज़र आ रहा है। हर ओर चीख पुकार मची है। भूकंप के कहर से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। भूकंप के कहर से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

तबाही का मंजर यह है कि शहर के शहर बर्बाद हो चुके हैं और सबकुछ खत्म हो चुका है। इसके बावजूद लोगों को आस है कि मलबे के नीचे उनका कोई अपना फंसा होगा और वो जिंदा होगा। हालांकि, दोनों देशों में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक 24 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और यह संख्या अभी भी बढ़ सकती है। भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। जानकारी के अनुसार तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप में जहां अब तक 28,000 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं, वहीं हादसे के 122 घंटों बाद तीन महिलाओं का जीवित निकल आना चमत्कार माना जा रहा है। इनमें पहली महिला 70 वर्षीय मेनेकसे तबक है। दूसरी 55 वर्षीय मसलल्लाह सिसेक और तीसरी 40 वर्षीय जेनेप कहरामन है। जेनेप को सबसे पहले (104 घंटे में) मलबे से जिंदा निकाला गया।

70 साल की मेनेकसे को कंबल में लपेटकर कहारनमारस प्रांत में एक एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया, जबकि मसलल्लाह को दक्षिण-पूर्व तुर्किये के सबसे बड़े शहर दियारबाकिर में एक इमारत के मलबे से निकाला गया। उधर, किरीखान शहर की जेनेप कहरामन को मलबे से सुरक्षित निकालते ही स्ट्रेचर पर ले जाया गया। आंखों को रोशनी से बचाने के लिए उसे काला चश्मा पहनाया गया। इसके बाद उसकी छोटी बहन जुबेयडे ने बचाव दल के कर्मचारी स्टीवन बायर को गले लगा लिया। बायर ने कहा, अब मैं चमत्कारों पर भरोसा करती हूं। यह बड़ी बात है कि इन हालात में यह महिला इतनी फिट निकली है। मलबे से निकालने में दुनियाभर के साथ भारतीय बचाव दल की भूमिका को सराहा जा रहा है।

तुर्की-सीरिया में तबाही की कई तस्वीरों के बीच कुछ ऐसी तस्वीरें भी हैं, जो आंखों में खुशी के आंसू और जिंदगी की चमक दे जाएं। चमकीले थर्मल कंबल में लिपटा एक नवजात सिर्फ 10 दिन का है। यागिज उल्स नामक इस बच्चे को मलबे से निकाल कर बचाया गया है। हाते के दक्षिणी प्रांत में 10 दिन के इस नवजात और उसकी मां को भूकंप के 90 घंटे बाद जिंदा निकाला गया। जिंदा निकलने वालों का क्रम अब घट गया है। तुर्की में भारत की तरफ से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री भेजी जा रही है। सेना और एनडीआरएफ टीम के बाद अब भारत की जनता भी कड़ाके की ठंड में कंबल बांट रही है। तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने 100 कंबल भेजे जाने का ऐसा ही एक पत्र ट्वीट कर दिल छूने वाली बात कही है।

उन्होंने पत्र में वसुधैव कुटुंबकम का संदेश भी साझा किया। 9 फरवरी की शाम 7.48 बजे शेयर की गई पोस्ट को अब तक 1.13 लाख से अधिक बार देखा गया व 2.5 हजार से अधिक ट्विटर यूजर्स ने लाइक किया है। फिरत ने भारतीयों को धन्यवाद भी दिया। कुलदीप, अमरजीत, सुखदेव और गौरव नाम के चार भारतीयों ने तुर्की भूकंप के पीड़ितों के लिए 100 कंबल दान कर पत्र में लिखा है, तुर्की के सभी लोगों को सादर प्रणाम। भगवान तुर्की पर कृपा करें और इस मुसीबत से निपटने की हिम्मत दें।  सुनेल ने इसे भारत से मिला प्यार बताते हुए कैप्शन में लिखा, एक भारतीय परिवार ने कंबल दान कर मिसाल पेश की है। कभी-कभी शब्दों के मायने शब्दकोष में दर्ज अर्थ से कहीं अधिक गहरे होते हैं।

तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के बाद सभी देश मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। इसी बीच जर्मनी की गृह मंत्री नैन्सी फैजर ने शनिवार को कहा कि उनका देश तुर्की और सीरिया के भूकंप पीड़ितों को उनके परिवार के साथ तीन महीने का वीजा देगा। फेजर ने दैनिक समाचार पत्र बिल्ड को बताया कि यह आपातकालीन सहायता है।

फेजर ने कहा कि जो लोग इसके लिए पात्र होंगे उन्हें नियमित वीजा जल्द ही जारी किया जाएगा और यह तीन महीने के लिए वैध होगा। फेजर ने कहा कि हम जर्मनी में रह रहे तुर्किश या सीरियाई परिवारों को अपने करीबी रिश्तेदारों को आपदा क्षेत्र से अपने घरों में लाने की अनुमति देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के साथ किए जा रहे इस संयुक्त पहल से भूकंप पीड़ितों को जर्मनी में “आश्रय खोजने और चिकित्सा उपचार प्राप्त करने” में सुविधा होगी। बता दें कि तुर्किये मूल के लगभग 29 लाख लोग जर्मनी में रहते हैं, जिनमें आधे से अधिक के पास तुर्किये की राष्ट्रीयता है।

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