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महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में भाजपा को ज़ोरदार झटका: डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस के गृह जनपद नागपुर में मिली भाजपा गठबंधन को शिकस्त

आदिल अहमद (इनपुट: सायरा शेख)

डेस्क: महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़ कर बनी शिंदे गुट ने भाजपा के समर्थन से सरकार बना लिया है। मगर महा विकास अघाडी गठबंधन का जोर आज भी महाराष्ट्र के सियासत में जमा हुआ दिखाई दे रहा है। महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में भाजपा को जोर का झटका मिला है और अपने गढ़ में चुनाव हार गई है। महाराष्ट्र में भाजपा के सबसे बड़े गढ़ और देवेन्द्र फडणवीस के गृह जनपद नागपुर में विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने गठबंधन के प्रत्‍याशी ने भाजपा के प्रत्‍याशी को हरा दिया।

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इस परिणाम को वैचारिक संगठन आरएसएस के मुख्‍यालय और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व उप मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह क्षेत्र में बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया है कि शिवसेना के असंतुष्‍ट एकनाथ शिंदे के उद्धव ठाकरे को हटाकर जून माह में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद राज्‍य में हुए इस चुनाव में नागपुर टीचर्स सीट पर महाविकास अघाड़ी के सुधाकर अदबले ने बीजेपी समर्थित नागो गनार पर जीत दर्ज की है।

राज्य विधानमंडल के उच्‍च सदन के लिए द्विवर्षीय चुनाव मुख्य रूप से भाजपा और एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के सत्तारूढ़ गठबंधन और उद्धव ठाकरे के शिवसेना खेमे, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) वाले महाविकास अघाड़ी समर्थित उम्मीदवारों के बीच था। पांच परिषद सदस्यों का 6 साल का कार्यकाल, इसमें शिक्षकों से तीन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों से दो शामिल हैं, 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है और इसके लिए सोमवार को वोटिंग हुई थी। कुछ मानदंडों को पूरा करने वाले और वोटर्स के रूप में नामांकित शिक्षक और स्नातक इन चुनावों में मताधिकार का उपयोग करने के पात्र थे।

कोंकण टीचर्स निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक 91.02 फीसद मतदान हुआ, जबकि नासिक डिवीजन ग्रेजुएट सीट पर पर सबसे कम 49.28 फीसदी मतदान हुआ। औरंगाबाद, नागपुर, कोंकण डिवीजन में क्रमश:   86, 86.23 और 91.02 फीसद वोटिंग हुई। नागपुर के अलावा एक और करीबी मुकाबला नासिक डिवीजन स्नातक सीट पर हुआ। यहां तीन बार के परिषद सदस्‍य सुधीर तांबे कांग्रेस के आधिकारिक उम्‍मीदवार थे, लेकिन उन्‍होंने नामांकन दाखिल नहीं किया। सुधीर तांबे के चुनाव से बाहर रहने पर उनके बेटे सत्‍यजीत तांबे ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस ने बाद में दोनों को सस्‍पेंड कर दिया। अधिकारियों के अनुसार, सत्‍यजीत तांबे इस समय चुनाव में बढ़त बनाए हुए हैं।

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