उत्तरकाशी स्थित पुरोला प्रकरण के शिकायतकर्ता ने कहा ‘ये कभी भी लव जिहाद का मामला नहीं था बल्कि ये एक सामान्य अपराध था, जिसे सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है’ पढ़े क्या है अभी पुरोला के हालात

तारिक़ आज़मी

डेस्क: पुरोला में एक नाबालिग़ हिंदू लड़की को अगवा किए जाने की कोशिश के आरोप में दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद कुछ दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने वहां रह रहे मुसलमानों को इलाक़ा छोड़कर जाने की धमकी दी थी, जिसके बाद वहां तनाव फैल गया। अब हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस मामले में एक बड़ा खुलासा करते हुवे बताया है कि लगातार दो सप्ताह से सांप्रदायिक तनाव की स्थिति झेल रहे उत्तराखंड के उत्तरकाशी के पुरोला में जिस मामले के कारण तनाव पैदा हुआ उसके शिकायतकर्ता ने कहा है कि वो तथाकथित ‘लव जिहाद’ का मामला नहीं था बल्कि एक सामान्य अपराध का मामला था।

हिन्दुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार लड़की को अगवा किए जाने के मामले में उसके एक रिश्तेदार (जो पेशे से सरकारी स्कूल टीचर हैं) ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। अख़बार ने नाबालिग़ लड़की की पहचान छिपाने के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं बताई है। अख़बार लिखता है कि ये व्यक्ति बीते दो सप्ताह से घर से बाहर नहीं निकले हैं और उन्होंने अपना फ़ोन नंबर बदल दिया है।

हिन्दुस्तान टाइम्स का अपनी खबर में दावा है कि उसको दिए अपने बयान में उन्होंने कहा है कि ‘शुरुआत से ही इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही थी। दक्षिणपंथी समूहों के कार्यकर्ताओं ने हमारी तरफ से खुद से एक शिकायत भी लिखकर तैयार की थी, लेकिन पुलिस ने वो शिकायत दर्ज नहीं की। ये कभी भी लव जाहिद का मामला नहीं था बल्कि ये एक सामान्य अपराध था।’

हिन्दुस्तान टाइम्स से उन्होंने कहा है कि ‘मुझे दुख है कि इस मामले का इस्तेमाल मुसलमानों को यहां से बाहर निकालने के लिए किया गया। मैं मुसलमानों को अपना समर्थन देना चाहता हूं लेकिन मुझे डर है कि मौजूदा माहौल में मुझे ग़लत समझा जाएगा। जब मैं फेसबुक खोलता हूं तो वहां पर इस घटना से जुड़े वीडियो में देखता हूं लोग इसे लव जिहाद का मामला बता रहे हैं। मुझे दुख है कि मुझसे किसी ने पूछा ही नहीं कि असली कहानी क्या है।’

बताते चले कि ये मामला मई 26 तारीख की दोपहर का है जब दो युवकों ने कथित तौर पर एक लड़की को जबरन ऑटो रिक्शा में भरकर उसे अगवा करने की कोशिश की। पुलिस द्वारा गिरफ्तार दोनों लडको के नाम उमेद ख़ान और जितेंद्र सैनी है। जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।  दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने इसे लव जिहाद का मामला बताया। बजरंग दल के एक कार्यकर्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, ‘ये स्पष्ट तौर पर लव जिहाद का मामला था। एक आरोपी ने खुद को हिंदू बताया था यहां तक कि उसका सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल भी एक हिंदू लड़के के नाम से है। हमारा मकसद केवल हमारी बहू-बेटियों को बचाना है।’  इस घटना के बाद पुरोला और आसपास के इलाक़ों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए और इलाक़े में पोस्टर लगाकर उन्हें इलाक़े से बाहर चले जाने को कहा।

खबर में बताया गया है कि इस घटना में नाबालिग़ से छेड़छाड़ करने और अगवा करने की कोशिश के अलावा पॉक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन मई 29 से इसे उस वक्त सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई जब कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने धर्म परिवर्तन के ख़ालिफ़ विरोध प्रदर्शन किया और इस दौरान मुसलमानों की लगभग दो दर्जन दुकानों में तोड़फोड़ की गई। चार दिन बाद एक और विरोध प्रदर्शन आयाजित किया गया, जिस दौरान 25 और दुकानों में तोड़फोड़ हुई। कुछ दुकानों के सामने क्रॉस (X) भी बनाया गया।

इसके बाद धमकी भरे पोस्टर इलाक़े में नज़र आने लगे जिनमें मुसलमानों से कहा गया कि वो जून 15 को होने वाली महापंचायत से पहले घर और दुकान छोड़कर चले जाएं। इस मामले में पुलिस ने शिकायत तो दर्ज की है लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार क़रीब 20 दिनों के बाद शनिवार को पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुरोला में मुसलमान व्यापारियों ने अपन दुकानें खोलीं। एक व्यक्ति ने अख़बार को बताया कि पहले दिन व्यापार सामान्य रहा है। और दुकानदारों के साथ-साथ क़रीब 6-7 मुसलमान जो इलाक़ा छोड़कर नहीं गए उन्होंने अपनी दुकानें खोलीं। अख़बार लिखता है कि बीते दो सप्ताह में जो कुछ हुआ उसके कारण 10 से अधिक मुसलमान परिवार अपना घर छोड़ने को बाध्य हुए हैं। पुरोला के क्षेत्राधिकारी सुरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा है कि यहां स्थिति सामान्य हो रही है और चीज़ें शांतिपूर्ण हैं।

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