ईदुल अमीन
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई को लेकर उत्तराखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि उन्होंने जनता के भरोसे को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका पर आई।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बुधवार को ‘कुछ राजनीतिक और व्यावसायिक लाभ के लिए पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने’ के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद को फटकारते हुए अदालत ने कहा कि उन्होंने जनता के भरोसे को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका पर आई, जिन्होंने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी थी। इस पर जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में यह संदेह से परे स्पष्ट है कि तत्कालीन वन मंत्री और डीएफओ खुद को ही लिए कानून मान रहे थे।
उन्होंने कानून की घोर अवहेलना करते हुए और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई की। यह एक क्लासिक मामला है जो दिखाता है कि कैसे नेताओं और नौकरशाहों ने जन विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया है।
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