आदिल अहमद
नई दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को राजनीतिक दलों को निर्देश दिए कि चुनाव लड़ रहे उनके जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उसकी जानकारी वे अपनी वेबसाइटों और मीडिया में सार्वजनिक करें। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए संसद से भी इस समस्या से निपटने के लिए कानून बनाने का आग्रह किया, जिससे आपराधिक छवि वाले नेता विधायिका में प्रवेश नहीं कर सकें। उन्होंने कहा कि यह कानून ऐसा होना चाहिए, जो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को फंसाने के लिए बनाए जाने वाले फर्जी मामलों से भी निपटने में सक्षम हो।
अदालत ने निर्देश दिए कि हर उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करते समय पर्चे में अपने लंबित आपराधिक मामले के बारे में ‘बोल्ड’ में जानकारी देनी होगी। चुनाव में खड़े होने के इच्छुक दावेदारों को अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी संबद्ध राजनीतिक पार्टी को देनी होगी।
राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के आपारधिक रिकॉर्ड को वेबसाइट पर सार्वजनिक करना होगा। नामांकन दाखिल करने के बाद राजनीतिक दल और उम्मीदवार को लंबित आपराधिक मामले की जानकारी विस्तार से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में देनी होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गंभीर आपराधिक मामले में आरोपी व्यक्ति के विधायिका में प्रवेश को रोकने के लिए कानून बनाने की जिम्मेदारी अब संसद के ऊपर है।
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