तारिक आज़मी
वाराणसी. मऊ के रहने वाले राजीव कुमार सिंह के पिता अवधेश सिंह आर्म्स पुलिस में कमांडो थे। पिता के नक़्शे कदम पर चलते हुए साल 1993 में राजीव सिंह आरक्षी पद पर नियुक्त हुए और पहली पोस्टिंग उनकी झाँसी में हुई। राजीव सिंह के एक और भाई इस समय जौनपुर जनपद के शिकारपुर चौकी पर चौकी इंचार्ज के पद पर हैं और पुलिस को सेवा दे रहे हैं। राजीव सिंह ने इंटर तक की पढ़ाई सीतापुर से की जहां उनके पिता की सर्विस थी। 1993 में आरक्षी पद पर झाँसी में तैनाती मिलने के बाद उन्होंने एक बार फिर साल 2001 में सीधी भर्ती में हाँथ आजमाया और सब इन्स्पेक्टर हो गए।
आदमपुर थाना क्षेत्र के लोगो में उनके जाने से काफी उदासी का माहोल है। क्योकि यही राजीव सिंह थे जिन्होंने सक्का घाट पर अज्ञात लाश की शिनाख्त करवाकर उसके हत्यारोपियो को तलाश कर जेल की सलाखों के पीछे भेजा था। यही राजीव सिंह थे जिन्होंने तीन बार अपने क्षेत्र के असामाजिक तत्वों द्वारा दंगा करवाने के प्रयास को विफल किया था। इनके द्वारा ही नक्कटईया जुलूस के दौरान जब दो वर्ग आमने सामने हो गये थे तो अपनी सुझबुझ से उनको अलग अलग कर एक बड़ा विवाद हल किया था।
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