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ज्ञानवापी प्रकरण: जाने क्या हुआ आज अदालत में, किस मुद्दे पर हुई जिरह और किस बिंदु पर कल अदालत दे सकती है फैसला

तारिक़ आज़मी/शाहीन बनारसी

वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर सुनवाई हुई। इस दरमियान ज़बरदस्त दलील सभी पक्षों के द्वारा अदालत में प्रस्तुत हुई। सभी पक्षों ने अपनी अपनी दलील पेश किया और इस बात पर भी जिरह हुई कि आखिर चुनिन्दा लीक कैसे हुआ और वीडियो कैसे वायरल हुआ। आज मस्जिद कमिटी के जानिब से अदालत में आदेश 7 नियम 11 के तहत अपील दाखिल हुई थी जिसके ऊपर आज बहस मुख्य बिंदु रही।

ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में आज सुनवाई के लिए जिला जज डॉ0 अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत ने सभी जमानत के केस आज दूसरी अदालत को ट्रांसफर कर दिया और आज सिर्फ ज्ञानवापी मसले पर सुनवाई किया। मस्जिद कमिटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव आदेश 7 के नियम 11 के तहत ज़बरदस्त दलील पेश करते हुवे कहा कि “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991” के तहत ये केस सुनवाई योग्य नही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हुक्म जारी किया है कि अदालत आदेश 7 के नियम 11 के तहत दाखिल होने वाले प्रार्थनापत्र पर पहले सुनवाई करे। इस अधिनियम की प्रति प्रस्तुत करते हुवे अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि “प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991” के तहत ये नियम बने थे कि धर्म स्थल की नवय्य्त जो 15 अगस्त 1947 में था वह नवय्यत नही बदल सकती है। ये वाद ही उस नवय्यत को बदलने की मांग करने वाला है। फिर ऐसे वाद को कैसे सुना जा सकता है।

इसके पहले ज्ञानवापी मामले की सुनवाई शुरू होने के समय अदालत परिसर के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। कोर्ट रूम में प्रवेश सिर्फ ज्ञानवापी मामले से जुड़े लोगों को ही मिला। अधिवक्ताओं के सहयोगियों को कोर्ट रूम से बाहर रोका गया है। चारों वादी महिलाएं भी अदालत में उपस्थित थी। इस दौरान कचहरी परिसर और आसपास सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रही। सुनवाई के दौरान जिला जज की अदालत में कुल 23 लोग मौजूद रहे। पुलिस के मुताबिक दोनों पक्षों के 19 वकीलों और चार याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहे। अंदर जाने की अनुमति उन्हें मिली जिनका नाम सूची में दर्ज था।

इस दरमियान आज अदालत में करीब एक घंटे तक बहस चली। इस बहस के दरमियान वादी पक्ष की तरफ से जिला जज की कोर्ट से यह मांग की गई कि विपक्षी कमीशन कार्यवाही पर आपत्ति दाखिल करे। जिस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव और मोहम्मद तौहीद ने ज़बरदस्त दलील पेश करते हुवे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पहले इस पर सुनवाई हो कि इस मामले में “प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट1991” लगेगा या नहीं। अदालत ने इस मुद्दे पर मस्जिद कमिटी की दलील और उनके अधिवक्ता के द्वारा पेश किये गए गए दस्तावेजों को देखा।

इस दरमियान वादिनी पक्ष के अधिवक्ताओं के द्वारा अदालत से मांग किया गया कि मामले में मस्जिद कमिटी के जानिब से सर्वे रिपोर्ट पर आपत्ति मांगी जाए। आपत्ति आने पर उसके ऊपर बहस होनी चाहिए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कल अदालत इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगी कि मस्जिद कमिटी द्वारा दाखिल आदेश 7 नियम 11 के तहत सुनवाई हो या नही। अदालत इस मामले में कल अपना फैसला सुना सकती है कि यह मामले आगे सुनवाई योग्य है या नहीं।

मीडिया की लाखो सनसनी के बीच अब सबकी निगाहें जिला जज की अदालत पर टिकी हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अदालत को आठ सप्ताह में सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने 24 मई (मंगलवार) की तारीख मुक़र्रर किया है। ऐसे में अब कल का दिन बेहद अहम होने वाला है। जिसमे इस पुरे केस का भविष्य निर्भर करेगा। इस दरमियान सबके अपने अपने दावे रहे। दावो में वादिनी मुकदमा के आदिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि हम लोगो ने कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरे उपलब्ध करवने का आवेदन दिया है। वही वादिनी पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि हमारा दावा मजबूत है। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाकी सबूतों का अध्ययन करने के बाद कोर्ट कोई फैसला देगा। कल न्यायालय की तरफ से बताया जाएगा कि यह मामले आगे सुनवाई योग्य है या नहीं। इस दरमियान आज जिला जज की अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने रूल 1 नियम 10 के तहत पक्षकार बनने, ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के दर्शन- पूजन और राग भोग सेवा के लिए आवेदन दिया है।

आज बहस के दरमियान बड़ी बात ये थी कि दो दिनो से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो सर्वे के दरमियान मस्जिद में स्थित तहखाने का बताया जा रहा था। हमारे द्वारा कल एक समाचार का प्रसारण भी किया गया था और इस मुताल्लिक सवाल किया गया था कि आखिर ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो कैसे वायरल हो रहा है। आज ये प्रकरण अदालत में भी उठा और मस्जिद कमिटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि यह बहुत बड़ा षड्यंत्र और संगीन मामला है। मुस्लिम पक्ष इस पर अलग से आवेदन कोर्ट में दाखिल करेगा और जो भी वीडियो लीक हो रही है, उसके जांच की मांग की जाएगी, जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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