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ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में अब आया माफिया मुख्तार का नाम: श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष का दावा, मस्जिद के लिए फंडिंग करता है अंसारी, जांच की मांग, आया मस्जिद कमिटी का बयान

ए0 जावेद

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में जिला जज की अदालत में अब सोमवार को सुनवाई होगी। जिला जज डॉ0 अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत अब इस मामले में सुनवाई करेगी। इस क्रम में सबसे पहले जिला जज सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ये सुनवाई करेगे कि क्या ये वाद “प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991” का उलंघन तो नही है। इस सबके बीच अभी तक औरंगजेब और मुग़ल की बहस के बीच अब मामले में श्री काशी विश्वनाथ मुक्ति आन्दोलन के अध्यक्ष ने मुख़्तार अंसारी की इंट्री करवा दिया है। ये इंट्री लगभग वाइल्ड कार्ड इंट्री के तरह है।

प्रकरण में बाहुबली पूर्व विधायक मुख़्तार अंसारी की धमाकेदार वाइल्ड कार्ड इंट्री आज श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष व भाजपा के सदस्य सुधीर सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो जारी कर किया है। इस वीडियो में उन्होंने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की फंडिंग माफिया मुख्तार अंसारी के द्वारा की जाती है। हम इसके लिए वाराणसी के मंडलायुक्त से मांग करते हैं कि वह जांच कराएं कि ज्ञानवापी मस्जिद की फंडिंग करने वाले कौन-कौन लोग हैं।

सुधीर सिंह ने इस इंट्री में खुद को ही चश्मदीद गवाह बनाया बताया है। उन्होंने दावा किया है कि मुख़्तार अंसारी अखिलेश सरकार में बीएचयु में भर्ती था और उस समय उन्हें मुलायम सिंह यादव का फोन उनको आता है कि वह अफजाल अंसारी के साथ जाए मुख़्तार के पास। सुधीर सिंह ने आरोप लगाया कि मुख़्तार के पास जब वह पहुचे तो वहा मौलाना बातिन नोमानी पहले से मौजूद थे और उन्हें मुख़्तार ने 10 लाख रुपया रख रखाव के लिए दिया।

अब सुधीर सिंह के आरोप है कि मस्जिद को मुख़्तार अंसारी फंडिंग करता है और इसकी जाँच होनी चाहिए कि मस्जिद के पास फंड कहा से आया। दुर्गाकुंड निवासी श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने यह घटना वर्ष 2012 की बताया है। उनका आरोप है कि मुख्तार अंसारी जो कि यूपी का माफिया है, आतताई है, उसके पैसे से ज्ञानवापी मस्जिद की रख रखाव और मरमत होती है। सुधीर सिंह के इस बयान पर कई सवालात उठने भी शुरू हो गये है।

सबसे पहला सवाल तो ये उठता है कि सुधीर सिंह खुद मुख़्तार अंसारी से मिलने के लिए क्यों गए थे? क्या उनके भी घनिष्ठ सम्बन्ध मुख़्तार अंसारी से है। दूसरी बात ये कि जब सुधीर सिंह को ये बात वर्ष 2012 में ही पता थी कि मुख़्तार अंसारी मस्जिद में फंडिंग करता है तो फिर ये मुद्दा सुधीर सिंह ने आज 10 सालो के बाद क्यों उठाया। क्या मामले में तड़का लग रहा है। सवाल ये भी है कि आखिर मुलायम सिंह यादव ने सुधीर सिंह को ही क्यों भेजा मुख़्तार अंसारी से मिलने के लिए ? माना कि 2017 तक सपा की सरकार थी। मगर सपा सरकार के बाद से आई योगी सरकार ने मुख़्तार पर और उसके लोगो पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। तो फिर भी ये मुद्दा उन्होंने नही उठाया और न कोई शिकायत दर्ज किया। आज आखिर ये मुद्दा उन्होंने क्यों उठाया।

बहरहाल, सुधीर सिंह के इस बयान के बाद अब मामले में नई इंट्री के तौर पर मुख़्तार अंसारी की इंट्री भी हो चुकी है। मुद्दा अब चर्चाओं में एक बार फिर से है कि क्या मुख़्तार अंसारी मस्जिद को फंडिंग करता है। मामले में मस्जिद इंतेजामिया कमिटी के जॉइंट सिक्रेटरी एस0 एम0 यासीन ने हमसे बात करते हुवे कहा कि पूरी बाते सिर्फ मनगढ़ंत है और झूठ की इन्तेहा है। आरोप लगाने के लिए कोई मुद्दा नही तो मुद्दा यही बना रहे है।

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