मो0 कुमेल/शफी उस्मानी
डेस्क: योग गुरु रामदेव ने जंतर मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को अपना समर्थन दिया है। मगर इस समर्थन के बाद ही करणी सेना ने बयान जारी कर कहा कि बाबा रामदेव ने राजपूत समाज का अपमान किया है। जिसके बाद बाबा रामदेव ने तत्काल ‘यु-टर्न’ लिया और कहा कि साधू की कोई जाति नही होती है मगर मैं भी राजपूत कुल में जन्मा हु और मैंने राजपूत समाज का अपमान नही किया है। साथ ही बाबा रामदेव ने अपील किया है कि महिला पहलवान कल संसद घेराव के अपने प्रस्तावित कार्यक्रम को रद्द कर दे।
उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा था कि ‘देश के पहलवानों का जंतर मंतर पर बैठना और वह भी कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर दुराचार, व्यभिचार करने के आरोपों के साथ, यह बहुत ही शर्मनाक बात है। ऐसे व्यक्तियों को तुरंत गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे भेजना चाहिए और वह रोज मुंह उठा-उठाकर मां, बहन, बेटियों के बारे में बकवास कर रहा है। यह बहुत ही निंदनीय है। एक कुकृत्य है। पाप है।’
करणी सेना ने कहा ‘बाबा किया है राजपूत समाज का अपमान, भीलवाडा आने पर स्वागत करते है’
स्वामी रामदेव के इस बयान पर राजपूत करणी सेना के पदाधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए रामदेव से इस बयान पर माफी मांगने की बात कही। इसके राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विश्व बंधु सिंह राठौड़ ने कहा कि ‘रामदेव के भीलवाड़ा आने पर मैं उनका स्वागत करता हूं, लेकिन उनका स्टेटमेंट हमारे दिल को ठेस पहुंचा गया है। स्वामी रामदेव तो न्यायाधीश बन कर आए हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उनसे भी पहले कई बाबा हुए हैं। आप कैसे कह सकते हो बृजभूषण सिंह को उठाकर जेल में डाल दो। वे अपनी बात कहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं फिर आप से (रामदेव से) अर्ज कर रहा हूं इस बयान का खंडन नहीं किया तो आप भीलवाड़ा के अंदर अपना कार्यक्रम करके दिखा देना। यह राजपूत समाज है, करणी सेना है। मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है आप दिल जोड़ने निकले हो, दिल मत तोड़ो।’
बाबा ने लिए ‘यु-टर्न कहा न करे पहलवान संसद का घेराव, मैंने नहीं किया राजपूत समाज का अपमान
इस बयानबाजी के बाद करणी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांसल और महासचिव सुरेंद्र मोटरास ने आरसी व्यास कॉलोनी स्थित रामदेव के अस्थाई निवास पर मुलाकात की। मुलाकात के बाद स्वामी रामदेव का एक वीडियो सामने आया जिसमें वे राजपूत समाज के शौर्य और बहादुरी की बात कह रहे हैं। वीडियो में स्वामी रामदेव ने कहा कि ‘मैंने राजपूत समाज का विरोध किया है, यह बात सरासर गलत है। साधु होने के बाद कोई जाति नहीं रहती है। मैं भी क्षत्रिय कुल में जन्मा हूं। मैं क्षत्रिय धर्म शौर्य और वीरता को समझता हूं, जो अन्याय के खिलाफ लड़ता है। महाराणा प्रताप के शौर्य और बलिदान की जो बहुत बड़ी विरासत हमें राजपूत समाज से मिली है, उसका अनादर करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।’
यही नही बाबा रामदेव ने 28 मई को आंदोलनकारी पहलवानों के नए संसद भवन के घेराव की बात पर भी स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ;मैं आश्वस्त हूं कि हमारे खिलाड़ी जिन्होंने देश का मान बढ़ाया, वह कम से कम से कम जब देश की नई संसद उद्घाटन हो रहा हो, उस समय घेराव या संसद की तरफ कूच करने की बात नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘इस तरह के आंदोलन से खिलाड़ियों को दूर रहना चाहिए और मैं आशा करता हूं कि दूर रहेंगे।’
उन्होंने कहा है कि ‘नए संसद भवन का जब उद्घाटन हो रहा है उस समय संसद भवन का घेराव या कार्यक्रम का बहिष्कार, लोकतंत्र, संविधान, देश की आजादी और शहीदों का अपमान होगा। जो भी लोग इसके बहिष्कार की बात कर रहे हैं वे पुनर्विचार करें और जो घेराव की बात कर रहे हैं मेरा उनसे विनम्र निवेदन है कि वे इस प्रकार की गतिविधियों से दूर रहें।’ बताते चले कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान पिछले एक महीने से जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। पहलवानों के समर्थन में कई राजनीतिक दल, संगठन और खिलाड़ी लगातार आगे आ रहे हैं।
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