(जावेद अंसारी)
जिस शख्स ने इस महीने में एक नेकी भी या फर्ज अदा किया, उसका अजरा (बदला) उस सख्त की तरह होगा, जिसने किसी दूसरे महीने में सत्तर फर्ज अदा किए,यह महीना सब्र का है और सब्र का सिला जन्नत हैं। वह महीना नेकी पहुंचाने का है, इस महीने मोमिन की रोजी में इजाफा किया जाता है, जिस शख्स ने किसी रोजेदार को अफतार कराया, उसके गुनाह (पाप) बख्श दिए गए। उसकी गर्दन अतिशे दोजख (नर्क की आग) से आजाद की जाएगी और रोजेदार के रोजे का सवाब कम किए बगैर अफतार कराने वाले को भी रोजेदार के बराबर का सवाब मिलेगा, सहाबाकराम रजि. ने अर्ज किया हैं यह महीना ऐसा है, इसका पहला हिस्सा रहमत है, दरमियानी (मध्य) मगफिरत है और आखिरी हिस्सा दोजख से आजादी है,माह शैतान कैद कर दिए जाते हैं|
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