कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद. पद का लालच किसी को किस हद तक नीचे ले जा सकता है इसका जीता जागता उदहारण इस समय धरकार समाज के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के चुनाव में देखा जा सकता है. जहा केवल पद का एक लालच ऐसा की पुरे समाज के हितो की रक्षा करने की कसमे खाने वाले भी लोकशाही को दरकिनार करके एक अलग तरीके का तंत्र बना बैठे है. धरकार समाज के हुवे चुनावों में बड़ी धांधली की बात निकल कर सामने आ रही है.
ज्ञातव्य हो की धरकार समाज के बेनवंशी समाज कहलाता है. इस समाज के देश में कुल 13 संगठन मिलकर काम कर रहे थे. इन सभी संगठनो ने एक मंच पर खड़े होकर एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन बना रखा था जिसका नाम है धरकार समाज. इसकी इसके पूर्व तक राष्ट्रीय अध्यक्ष वाराणसी की एक तेज़ तर्रार महिला माधुरी वर्मा हुआ करती थी. संगठन अपने समाज के हितो की रक्षा हेतु कटिबद्ध था. इसी दौरान विगत सप्ताह हुवे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में परदेसी प्रसाद को विजयी घोषित करने के बाद समाज के कुल 13 संगठनो में से 9 ने बगावत का बिगुल फुक रखा है.
क्या फायदा है राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का.
सूचनाओ को अगर आधार माने और गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी को मिलाया जाये तो धरकार समाज का एक प्रतिनिधि मंडल विगत 6 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला था. इस बैठक में योगी आदित्यनाथ ने धरकार समाज के उत्थान और उनकी समस्याओ के निस्तारण हेतु प्रतिनिधि मंडल के साथ सलाह मशविरा किया था. सूत्रों की माने तो समाज के उत्थान और उनकी समस्याओ के निस्तारण हेतु मुख्यमंत्री द्वारा समाज के किसी एक प्रतिनिधि को विधान मंडल के सदस्य मनोनीत करने का आश्वासन दिया गया था. अगर इस तथ्य पर नज़र डाले तो लगता है परदेसी बाबु ने विधायक बनने की तमन्ना लेकर चुनावी घोटाला कर डाला.
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