शक के घेरे में आया धरकार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव, पद के लालच में चुनाव में धांधली का लगा आरोप

कनिष्क गुप्ता.

इलाहाबाद. पद का लालच किसी को किस हद तक नीचे ले जा सकता है इसका जीता जागता उदहारण इस समय धरकार समाज के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के चुनाव में देखा जा सकता है. जहा केवल पद का एक लालच ऐसा की पुरे समाज के हितो की रक्षा करने की कसमे खाने वाले भी लोकशाही को दरकिनार करके एक अलग तरीके का तंत्र बना बैठे है. धरकार समाज के हुवे चुनावों में बड़ी धांधली की बात निकल कर सामने आ रही है.

क्या है आरोप.

ज्ञातव्य हो की धरकार समाज के बेनवंशी समाज कहलाता है. इस समाज के देश में कुल 13 संगठन मिलकर काम कर रहे थे. इन सभी संगठनो ने एक मंच पर खड़े होकर एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन बना रखा था जिसका नाम है धरकार समाज. इसकी इसके पूर्व तक राष्ट्रीय अध्यक्ष वाराणसी की एक तेज़ तर्रार महिला माधुरी वर्मा हुआ करती थी. संगठन अपने समाज के हितो की रक्षा हेतु कटिबद्ध था. इसी दौरान विगत सप्ताह हुवे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में परदेसी प्रसाद को विजयी घोषित करने के बाद समाज के कुल 13 संगठनो में से 9 ने बगावत का बिगुल फुक रखा है.

हुआ क्या है यह तो भगवान् जाने अथवा परदेसी प्रसाद अथवा चुनाव अधिकारी. मगर आरोपों और तथ्यों का मिलान करे तो कुछ बात सामने निकल कर आ रही है वह इस प्रकार है की इस संगठन के अन्दर कुल 13 संगठन काम करते है जिसके आपसी सामंजस्य हेतु माधुरी वर्मा ने काफी प्रयास किया है. माधुरी वर्मा को लोग आयरन लेडी तक की उपाधि से नवाजते है. संगठन का पिछले दिनों चुनाव इलाहाबाद में हुआ. जिसमे देश के कोने कोने में बैठे संगठन के कुल 67 सदस्यों को अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुवे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना था. इस दौरान चुनाव अधिकारी पर भी सवालिया निशान उठा जब मतों की गणना हुई. धरकार समाज के सदस्यों का आरोप है कि कुल 67 मत होने थे मगर लिस्ट में कुल 62 सदस्यों के नाम के कारण 62 सदस्यों के द्वारा मताधिकार का प्रयोग किया गया. जिसमें से धरकार समाज ३५ मत पाकर परदेसी प्रसाद को विजई घोषित तो कर दिया गया, मगर तब तक अन्य सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया. मौके पर मौजूद सदस्यों के आरोपों को आधार माने तो परदेसी प्रसाद को 35 और माधुरी वर्मा को 34 मतों के मिलने की घोषणा हुई. जब लिस्ट ही कुल 62 लोगो की थी तो फिर यह ७ मत और कहा से आये जो परदेसी प्रसाद को मिले. आरोपों के अनुसार मतगणना के समय मतपेटी सामने नहीं आई थी और जब हंगामा हुआ तो मतपेटी गायब रही, इसी दौरान बाकी सदस्य संगठनो में से 9 ने चुनाव का बहिस्कार कर दिया. सूत्रों से प्राप्त समाचारों को अगर आधार माने तो मतदान अधिकारी भी इस घटतौली से नाराज़ हो गये और उन्होंने भी मतगणना स्थल को छोड़ दिया. इसके बाद किसी ने परदेसी प्रसाद को विजई घोषित कर दिया और वह खुद ही माला पहन कर खुद की जीत मनाने लगे.

क्या फायदा है राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का.

सूचनाओ को अगर आधार माने और गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी को मिलाया जाये तो धरकार समाज का एक प्रतिनिधि मंडल विगत 6 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला था. इस बैठक में योगी आदित्यनाथ ने धरकार समाज के उत्थान और उनकी समस्याओ के निस्तारण हेतु प्रतिनिधि मंडल के साथ सलाह मशविरा किया था. सूत्रों की माने तो समाज के उत्थान और उनकी समस्याओ के निस्तारण हेतु मुख्यमंत्री द्वारा समाज के किसी एक प्रतिनिधि को विधान मंडल के सदस्य मनोनीत करने का आश्वासन दिया गया था. अगर इस तथ्य पर नज़र डाले तो लगता है परदेसी बाबु ने विधायक बनने की तमन्ना लेकर चुनावी घोटाला कर डाला.

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