आदिल अहमद
इसी तरह ईरानी मिसाइल भी अमरीका तक नहीं पहुंच सकते तो फिर ट्रम्प को इन मिसाइलों से क्या परेशानी है? तो फिर अमरीका को क्यों आग्रह है कि यह ईरान, इस प्रकार के मिसाइल बनाना छोड़ दे?
इन सब बातों पर गौर करने से एक ही बात समझ में आती है कि अमरीका को ईरान से परेशानी इस लिए हैं क्योंकि अमरीका इस इलाक़े में अपनी योजनाओं को लागू करना चाहता है और इलाक़े के कुछ देशों से अपने आदेश का पालन चाहता है लेकिन यह देश, अमरीकी आदेशों का पालन उसी दशा में करना चाहते हैं जब अमरीका ईरान पर हर ओर से दबाव डाले यही वजह है कि जब ईरान और ओबामा सरकार के मध्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षए हुए तो सऊदी अरब और ज़ायोनी शासन ने उसका जम कर विरोध किया और ट्रम्प के आने पर उन्हें इस समझौते से निकलने पर तैयार किया लेकिन ट्रम्प के फैसले के बाद ईरान पर हाथ धरे बैठा नहीं रहा बल्कि उसने ट्रम्प को तीन सबक़ सिखाए।
ट्रम्प ईरान पर आतंकवाद के समर्थन का आरोग लगाते हैं तो ईरान ने फिलिस्तीन में हो रहे प्रदर्शनों को जारी रखने में सहयोग दिया और इन प्रदर्शनों को रुकने नहीं दिया। फिलिस्तीन के मामलों पर नज़र रखने वालों को अच्छी तरह मालूम है कि हर साल , भूमि दिवस पर प्रदर्शन होते हैं और फिर खत्म हो जाते हैं लेकिन इस साल मार्च में नगबा दिवस से आरंभ होने वाले प्रदर्शन अभी तक जारी हैं। यदि गौर किया जाए तो इसके पीछे हमें ईरान का समर्थन नज़र आएगा क्योंकि ईरान के वरिष्ठ नेता ने अपने एक भाषण में इन प्रदर्शनों को जारी रखने की बात कही थी।
जहां तक क्षेत्र में ईरान के प्रभाव की बात है तो इस अखाड़े में भी ईरान ने इराक़ में ट्रम्प को ज़ोरदार पटखनी देकर उन्हें चित कर दिया और यह सब कुछ ईरान ने, इराक में अपने दोस्तों की मदद से किया।
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