आदिल अहमद
बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के उपसचिव शैख़ हुसैन अद्दीही ने कहा है कि हम उस चुनाव में शामिल नहीं होंगे जिसमें वास्तविकता को बदल दिया जाए और चुनाव के बहिष्कार के अनेक कारण गिनवाए जिनमें एक बहुत बड़ा कारण बहरैन की चुनावी व्यवस्था का अन्यायपूर्ण होना है।
बहरैन की चुनावी व्यवस्था में नागरिकों को बराबरी का अधिकार हासिल नहीं है और चुनाव के मूल सिद्धांत अर्थात हर नागरिक को एक वोट देने के अधिकार के अनुसार नहीं है। इसके अलावा बहरैन का सत्ताधारी आले ख़लीफ़ा शासन चुनाव पर किसी तरह की निगरानी के लिए तय्यार नहीं है।
बहरैन में चुनाव के प्रजातंत्र के मूल मानदंड के अनुरूप न होने की वजह से इस देश की जनता चुनाव का विरोध कर रही है। दूसरी ओर बहरैनी दलों व संगठनों की ओर से देश के दिखावटी चुनाव के बहिष्कार के एलान के साथ ही बहरैन के गृह मंत्रालय ने चुनाव का बहिष्कार करने वालों को क़ानूनी कार्यवाही की धमकी दी है। बहरैनी शासन ने 24 नवंबर 2018 के दिखावटी चुनाव में जनता के भाग न लेने के डर से पिछले हफ़्ते से क्रान्तिकारियों के घरों पर छापा मार कर उन्हें गिरफ़्तार करने और अज्ञात स्थान भेजना शुरु कर दिया है। इस तरह वह भय का माहौल बना रहा है।
आले ख़लीफ़ा शासन उन लोगों के नाम को वोटर लिस्ट से निकालना चाहता है जो चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं ताकि इस तरह इस दिखावटी चुनाव में जनता की व्यापाक स्तर पर भागीदारी दर्शाए।
राजनैतिक टीकाकार आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा संसदीय चुनाव के आयोजन की इस शासन द्वारा नागरिक अधिकार के घोर उल्लंघन पर पर्दा डालने की कोशिश के रूप में समीक्षा कर रहे हैं।
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