तारिक आज़मी
वाराणसी। किसी भी धर्म में महिलाओ के साथ ज़ेनाकारी (बलात्कार) प्रतिबंधित है। इस्लाम में तो यहाँ तक आया है कि किसी नामोहरम महिला (ऐसी रिश्ते की महिला जिससे आपका विवाह प्रतिबंधित न हो) को आँख उठा कर देखना प्रतिबंधित है। यही नही अगर गलत सोच के साथ देख भी लिया तो हराम (पूर्णतः प्रतिबंधित) है। मगर जब धर्म के जानकार और कथित धर्म के ठेकेदार ही धर्म के नाम का मज़ाक उडाये तो इसको चौदहवी सदी (घोर कलयुग) की निशानिया ही कहा जायेगा। हमारा इन शब्दों से तात्पर्य कही से भी किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुचाना नही है। बल्कि जिसके कारण धर्म बदनाम होता है, उनको सच्चाई का आईना दिखाना है। एक हाफिज कुरआन से आप (तहजीब) शिष्टाचार की उम्मीद तो कर ही सकते है। मगर जब हाफिज कुरआन होने के बावजूद भी वो कुकर्म करना शुरू कर दे तो आप उसको केवल चौदहवी सदी की निशानिया ही कहेगे।
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