मो आफ़ताब फ़ारूक़ी
प्रयागराज । जीआरपी इलाहाबाद ने एक घायल अधेड़ को एसआरएन अस्पताल में दाखिल कराया। उस पर एक समाजसेवी मो.आरिफ की निगाह गई। वह उसके होश में आने का इंतजार करते रहे। जब 3 दिन बाद वह होश मे आया तो अपने परिजनों का पता बताया।
इस पर वहां की पुलिस से समाजसेवी ने संपर्क किया। पुलिस की सूचना पर यहां पहुंचे परिजनों को देखकर अधेड़ की आखें नम हो गईं। परिजन उसे अपने साथ लेकर चले गए, लेकिन जाते जाते समाजसेवी को बहुत सी दुआएं दे गए। क्योकि उसके ही अथक प्रयास से वह अपनों से मिल सका था।
जानकारी के अनुसार 8 मार्च को जीआरपी ने एक 45 वर्षीय पुरूष को घायलावस्था में इलाज के लिए एसआरएन में दाखिल कराया। उस समय वह बेहोश था, पुलिस ने अज्ञात में दाखिल कराकर अपने कार्यो की इतिश्री कर ली। इस बीच अधेड़ पर समाजसेवी मो. आरिफ की निगाह गई और उन्होंने मेडिकल स्टाफ से बात की। 11 मार्च को जब उसे होश आया तो अधेड़ ने अपना नाम संतोष कुमार जायसवाल पुत्र रामजी प्रसाद जायसवाल निवासी मुआवो, पशुमेला, थाना रामगढ़ भभुआ बिहार बताया। इस पर समाजसेवी ने रामगढ पुलिस से संपर्क किया। राम गढ़ पुलिस उसके घर पहुंची और हादसे की जानकारी देकर समाजसेवी से उनकी बात कराई। इसके बाद उसकी पत्नी मीना और बेटा चंदन एसआरएन अस्पताल पहुंचे। परिजनों को देखकर संतोष की आंखों में आंसू आ गए। बाद में कागजी कोरम पूरा करने के बाद परिजन संतोष को अपने साथ ले गए।
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